लघुकथा

लघु कथा : धोखा

चरन सिंह और गुरमीत कौर की दो बेटीयाँ थीं और अब फिर गुरमीत कौर को बच्चा होने वाला था . चरन सिंह नहीं चाहता था कि  इस दफा भी बेटी पैदा हो, इस लिए वोह गुरमीत कौर को शहर के एक कलीनिक में ले जा कर अल्ट्रा साउंड से मालूम करना चाहता था  कि होने वाला बच्चा बेटा है या बेटी और बेटी होने की हालत में वोह अबोर्शन करा देगा . गुरमीत कौर का जवाब नाह में था . बहुत दिन इसी कशमकश में बीत गए . एक दिन चरन सिंह गुस्से में बोला , देख गुरमीत ! मैं नहीं चाहता कि मेरी इतनी बड़ी बजुर्गों की  जयदाद पर जमाई ऐश करें , मुझे हर हालत में एक वारिस चाहिए . गुरमीत कौर ने हथिआर डाल दिए . दुसरे दिन दोनों शहर एक  डाक्टर के पास चले गए . डाक्टर ने अल्ट्रा साउंड करने के बाद बताया कि बेटी है  और अबोर्शन करने की फीस बता दी . चरन सिंह ने रिपोर्ट लेने की भी जरुरत ना समझी और गुस्से में कलीनिक से बाहिर आ गिया . घर आये तो झगडा शुरू हो गिया . गुरमीत मान नहीं रही थी . जब चरन सिंह ने  चितावनी दे दी कि अगर वोह ना मानी तो चरन सिंह दुसरी शादी कर लेगा तो वोह हार गई .

सुबह को उन्होंने अबोर्शन के लिए शहर जाना था . गुरमीत को नींद नहीं आ रही थी , उसे तरह तरह के खियाल आ रहे थे कि वोह अपने बच्चे का खून करने जा रही है . इसी उधेड़ बुन में उसे नींद आ गई .उसे एक सपना आने लगा . लगा जैसे कोई दरवाजे पर दस्तक दे रहा हो . वोह दरवाजे की तरफ जाने लगी . तभी उसे आवाज़ सुनाई दी , माँ ! मैं तेरे भीतर हूँ , तेरी बेटी . मैंने सब बातें सुन ली हैं , माँ ! मुझे बचा ले , माँ ! मैं तुमारा नाम रौशन करुँगी , माँ ! मैं कल्पना चावला बनूँगी . इतने में चरन सिंह हाथ में  चाक़ू ले कर आया और गुरमीत के पेट की तरफ निशाना साधा . गुरमीत घबरा  कर उठ बैठी . कितना भयानक सपना था . सुबह को गुरमीत कौर उठी , एक सूट केस में जरुरी कपडे डाले और टैक्सी के लिए टेलीफून कर दिया . घर के सभी सदसिया इक्कठे हो गए . यह किया कर रही हो ? चरन सिंह बोला . कहाँ भी जाऊं तुम्हें किया , तुम दुसरी शादी करा लो , गुरमीत बोली . टैक्सी आ गई , गुरमीत ने दोनों बेटीओं को कार में बिठाया , टैक्सी डराईवर ने सामान रखा . जब गुरमीत कौर खुद बैठने लगी तो चरन सिंह ने गुरमीत की कलाई पकड ली और बोला , गुरमीत मुझे मुआफ कर दो , हमारी बेटी इस दुनीआं में आएगी और इस के बाद हमें कोई बच्चा नहीं चाहिए .

जिंदगी पहले की तरह चलने लगी , सभी हंसने खेलने लगे . आज सुबह से गुरमीत की तबीअत ठीक नहीं थी . चरन सिंह ने हालात को जान कर मिड वाइफ को बुला लिया . मिड वाइफ ने आते ही सब को कमरे के बहिर जाने को कह दिया . कुछ देर बाद बच्चे के रोने की आवाज़ आई और मिड वाइफ ने ऊंची आवाज़ में बोला , वधाई हो , बेटा हुआ है . सभी ख़ुशी से झूमने लगे . चरन सिंह का सर हैरानी ख़ुशी और क्रोध में फटा जा रहा था . वोह सोच रहा था डाक्टर ने पैसे की खातिर इतना बड़ा धोखा दिया ?

2 thoughts on “लघु कथा : धोखा

  • मनजीत कौर

    अपने देश में लडकियों की संखिया लडको से बहुत कम होती जा रही है , कियोकी कई माता पिता लडकियों को जनम से पहले ही ख़तम करने का पाप करते है| सबसे बड़े पापी तो वो माता पिता है ,और ऐसे डाक्टर जो बचो को कतल करके पैसे कमाते है वो तो महापापी है | बहुत अच्छी सबक दायक कहानी |

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी और आँखें खोल देने वाली कहानी. ऐसी घटनाएँ बहुतों के साथ हो जाती हैं. आजकल के अधिकतर डाक्टर भी किसी कसाई से कम नहीं हैं, जो पैसे के लिए किसी की भी हत्या कर सकते हैं.

Comments are closed.