कविता

हाइकु

 

संवारा तन
मन प्रतीक्षारत
बीतता वक्त

अथ से इति
नव काया वरण
जीवन चक्र

पिसती हिना
शुभ वार त्यौहार
सर्व मंगल

चुन ली राह
खत्म व्यूह विकल्प
जीत संभव

4 thoughts on “हाइकु

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    हाइकु बहुत बढ़िया मनीष जी .

    • मनीष मिश्रा मणि

      शुक्रिया गुरमेल सिंह भमरा लंदन जी

      कुछ सुझाव भी दीजिये विषय या सुधार के लिए….

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया.

    • मनीष मिश्रा मणि

      शुक्रिया विजय कुमार सिंघल सर जी

      उत्साह बढ़ने के लिए .. कुछ सुझाव भी दीजिये विषय या सुधार के लिए….

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