कविता

प्रकृति का सम्पूर्ण सौन्दर्य

हम सब

एक ही

सत्य की नदी के आईने मे

प्रगट हुए

है … अनेक प्रतिबिम्ब

जैसे

मन क्षण क्षण

रचता नया नया रूप

त्यागकर .. अतीत

मै निहारता

तुममे

प्रकृति का सम्पूर्ण सौन्दर्य

अभिभूत होता तुमसे

विचार कर तुम्हारा सामीप्य

प्रेम ..स्मरण की

श्रृंखला है अंतहीन

रखो

मुझे

अपनी चेतना के

सरस अंश में कर सम्मिलित

मै पथिक

थक गया हूँ

बहते बहते

माया की नदी के प्रवाह मे

पाप पुण्य के द्वंद के बीच

समा लो

मुझे अपने अंक में

त्याग समस्त भ्रांतियां

जो तुम्हे करती हो विचलित

 

किशोर कुमार खोरेन्द्र

 

 

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

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