कविता

अगर हो सके तो…

अगर हो सके तो

फाड़ दो उन पन्नों को

जिसपर लिखी हो इंसानियत,

मासूमियत, आदमीयत, नेकनीयत,

अगर हो सके तो

फाड़ दो उन पन्नों को

जिए पर लिखा हो दर्द,

चीख, पुकार, रुदन और क्रंदन!

अगर हो सके तो

फाड़ दो उन पन्नों को

जिसपर लिखा हो शांति,

मर्यादा, अच्छा, बुरा, धर्म और जेहाद

अगर हो सके तो

फाड़ दो उन पन्नों को

जिसपर लिखा हो आन,

बान, शान और तालिबान!

— जवाहर लाल सिंह

6 thoughts on “अगर हो सके तो…

    • जवाहर लाल सिंह

      हार्दिक आभार आदरणीय सविता मिश्र जी

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सशक्त कविता.

    • जवाहर लाल सिंह

      हार्दिक आभार आदरणीय श्री विजय सिंघल साहब!

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बडीया .

    • जवाहर लाल सिंह

      हार्दिक आभार आदरणीय गुरमेल सिंह जी!

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