बाल कविता

बालगीत – ‘ जाग रहा है चौकीदार’

कहता सदा रहो होशियार ,
जाग रहा है चौकीदार |

असमय कभी नही सोना , साहस कभी नहीं खोना
हरदम सावधान रहना , सोते और जगते रहना
लगा रहा है यही पुकार ,
जाग रहा है चौकीदार |

सर्दी – गर्मी या तूफान , सदा खड़ा है सीना तान
कर्तव्यों पर ही अविचल , देख रहा सबकी हलचल
करे सुरक्षित घर – परिवार ,
जाग रहा है चौकीदार |

अरविन्द कुमार साहू

सह-संपादक, जय विजय

One thought on “बालगीत – ‘ जाग रहा है चौकीदार’

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छा बाल गीत !

Comments are closed.