राजनीति

बहुत ही भयावह है आतंक का नया प्रारूप

विगत कुछ दिनों से एक के बाद एक कहीं न कहीं किसी न किसी रूप में आतंकी घटनाएं लगातार घटित हो रहीं थीं जिसमें कुख्यात आतंकी संगठन आईएस का चेहरा सबसे भयानक व क्रूर दिखलाई पड़ रहा था। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि आई एस अपनी खूंखार गतिविधियों के चलते तालिबान व अलकायदा को पछाड़ देगा। लेकिन पहले सिडनी में आतंकी ने कुछ लोगों को बंधक बनाकर दहशत का वातावरण पैदा किया व फिर पाकिस्तान के पेशावर मेें आर्मी पब्लिक स्कूल में तहरीक-ए- तालिबान के आतंकियों ने जिस प्रकार से अपना खूनी खेल खेला है व छोटे- छोटे मासूम बच्चों को अपनी गोलियों का शिकार बनाया है वह निश्चिय ही बेहद दर्दनाक, अमानवीय व निंदापरक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। पेशावर कांड वर्ष 2014 के अंत में जाते- जाते एक भयानक दर्द दे गया है। इस जख्म के घाव फिलहाल इतनी आसानी से जाते नहीं दिखलाई पड़ रहे हैं। यह इस वर्ष की सबसे हृदयविदारक घटना के रूप में याद की जायेगी। इस घटना ने आतंक का एक नया प्रारूप पेश किया है।इस घटना के बाद नववर्ष के आगमन पर होने वाले समारोहों पर भी पड़ना तय हो गया है। पेशावर व पाकिस्तान के ईसाइयोें ने क्रिसमस व नववर्ष के समारोह न मनाने का भी निर्णय लिया है।

पेशावर के आर्मी पब्लिक स्कूल में घटित घटना के बाद पूरा विश्व आंसू बहा रहा है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर देश के सभी स्कूलों में दो मिनट का मौन रखा गया और संसद के दोनों सदनों में भी मौन धारण करके पाकिस्तान के साथ भारत ने भी अपना दःुख बांटा। आतंकियों ने 132 बच्चों को मौत की नीेंद सुलाकर जहां अपने वहशीपन का परिचय दिया है वहीं नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुुफजई से अपना बदला भी चुकता किया है। पेशावर कांड इतना बर्बर था कि टीवी चैनलों के एंकरों के भी आंसू आ ही गये। भारत के स्कूलों में बच्चे आज भी पेशावर कांड की याद कर रहे हैें। इसघटनार के बाद पाकिस्तानी ष्शासकों व सेनाप्रमुख को भी अपनी नयी रण्रानीति बनाने पर विवश कर दिया। इस घटना के बाद पाकिस्तान के सेना प्रमुख व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने इतिहास में पहली बार आतंकवाद का सफाया करने का निश्चय किया है। वहां की सरकार ने फांसी की सजा को बहाल करते हुए लगभग तीन हजार आतंकवादी जो उनकी जेलों में बंद हैं को फांसी देने की घोषणा भी कर दी है यहां तक कि उनकी फांसी का डेथवारंट जारी भी कर दिया है। पाक सरकार के ताजा आक्रामक रवैये से तहरीक-ए-तालिबान बिलबिला उठा है तथा उसने पत्र के माध्यम से प्रधानमंत्री नवाज शरीफ व उनके परिवार का सफाया करने सहित नेताओं के पुत्रों की हत्या करने की धमकी भी दे डाली है। यह पाकिस्तान का अब सबसे खतरनाक संकट हो गया है।

उधर पाकिस्तान में भारत विरोधी गतिविधियां बेरोकटोक जारी हैं । पेशावर आतंकी हमलों के तुरंत बाद नवाज शरीफ ने आतंक का पूरी तरह से सफाया करने बयान दिया जिसकेबाद लश्कर संस्थापक हाफिज सईद ने अपनी पूरी भड़ास भारत के खिलाफ निकाली। हाफिज सईद ने भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला तथा पेशावर हमले के पीछे भारत का हाथ बताया और इसका बदला लेने की बात कही।उसने भारत की ओर से जताई गयी संवेदना पर भी जहर उगला यहीं नहीं नवाज शरीफ की आतंक के खिलाफ लड़ाई की घोषणा उस समय चैबीस घंटे के अंदर ही तार- तार हो गयी जब लश्कर कमांडर जकीउर्ररहमान लखवी को मात्र 5 लाख मुचलके पर जमानत दे दी गयी। हालांकि भारत सरकार की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद लखवी को दोबारा गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया है।इससे पाकिसतान की भारत के प्रति दोहरी नीति का भी पता चल रहा है। जब तक पाकिस्तान कीदोहरी नीतियां चलती रहेंगी तब तक उसकी आतंक के खिलाफ लड़ाई का अभियान सफल नहीं होन वाला और नहीं दक्षिण एशिया में शांति स्थापित हो सकेंगी। आज दुनियाभर के आतंकियों ने पाकिस्तान को अपनी सबसे सुरक्षित शरणस्थली बनाकर रख लिया है।

पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ व सेना प्रमुख के पास यही उचित समय है कि वह अपने देश में चल रहे सभी प्रकार के आतंकी ठिकानों का पूरी सफाया करकेे पाकिस्तान की साफ- सुथरी छवि को दुनिया के सामने प्रस्तुत करें यहां तक कि भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले आतंकी नेताओं व सरगनाओं के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करें। ताकि एक बार फिर भारत और पाक के बीच वार्ताओं का दौर प्रारम्भ हो सके। पाकिस्तान को अपना कश्मीर का राग भी छोड़ने का समय आ गया है। निश्चय ही इस समय पाकिस्तान एक भयानक दौर से गुजर रहा है। जिसमें बच्चों का खून खराबा है, तख्तापलट का खतरा भी है और परमाणु हथियारों का जखीरा आतंकी संगठनों के हाथ लगने का भी खतरा है। अगर कहीं आतंकी तख्ता पलट करने और परमाणु हथियारों पर अपना नियंत्रण करने में कहीं सफल हो जाते हैं तो यह स्थिति भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व के लिए बेहद खतरनाक हो जायेगी। अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के वादे की कठिन परीक्षा का दौर प्रारम्भ हो चुका है। यह दौर उनके राजनैतिक कैरियर का महत्वपूर्ण दौर साबित होने जा रहा है। अगर उन्हेें आतंक के खिलाफ लड़ाई का असली हीरो बनना है तो उन्हें भारत के प्रति भी संवेदना दिखानी होगी तथा भारत केे आतंकियों के खिलाफ भी जंग करनी होगी । यदि भारत के प्रति उनका दोहरा रवैया जारी रहता है तो पाकिस्तान का भविष्य भी खतरे में पड़ जायेगा।

One thought on “बहुत ही भयावह है आतंक का नया प्रारूप

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छा लेख.

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