धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

क्या वेदों में पशुबलि, माँसाहार आदि का विधान है?-2

शंका 4: यजुर्वेद मन्त्र 24/29 में हस्तिन आलभते अर्थात हाथियों को मारने का विधान है?

समाधान – ’लभ्’ धातु से बनने वाला आलम्भ शब्द का अर्थ मारना नहीं अपितु अच्छी प्रकार से प्राप्त करना , स्पर्श करना या देना होता है। हस्तिन शब्द का अर्थ अगर हाथी ले तो इस मंत्र में राजा को अपने राज्य के विकास हेतु हाथी आदि को प्राप्त करना, अपनी सेनाओं को सुदृढ़ करना बताया गया है। यहाँ पर हिंसा का कोई विधान नहीं है।

पारस्कर सूत्र 2 /2 /16 में कहा गया है कि आचार्य ब्रह्मचारी का आलम्भ अर्थात ह्रदय का स्पर्श करता है। यहाँ पर आलम्भ का अर्थ स्पर्श आया है।

पारस्कर सूत्र 1 /8 /8 में ही आया है कि वर वधु के दक्षिण कंधे के ऊपर हाथ ले जाकर उसके ह्रदय का स्पर्श करे। यहाँ पर भी आलम्भ का अर्थ स्पर्श आया है।

अगर यहाँ पर आलम्बन शब्द का अर्थ मरना ग्रहण करे तो यह कैसे युक्तिसंगत एवं तर्क संगत सिद्ध होगा? इससे सिद्ध होता हैं कि आलम्भ शब्द का अर्थ ग्रहण करना, प्राप्त करना अथवा स्पर्श करना है।

शंका 5 : वेद, ब्राह्मण एवं सूत्र ग्रंथों में संज्ञपन शब्द आया है जिसका अर्थ पशु को मारना है ?

समाधान – संज्ञपन शब्द का अर्थ है ज्ञान देना दिलाना तथा मेल कराना है।

अथर्ववेद 6/10/14-15 में लिखा है कि तुम्हारे मन का ज्ञानपूर्वक अच्छी प्रकार (संज्ञपन) मेल हो, तुम्हारे हृदयों का ज्ञान पूर्वक अच्छी प्रकार (संज्ञपन) मेल हो।

इसी प्रकार शतपथ ब्राह्मण 1/4 में एक आख्यानिका है जिसका अर्थ है- मैं वाणी तुझ मन से अधिक अच्छी हूँ, तू जो कुछ मन में चिंतन करता है मैं उसे प्रकट करती हूँ, मैं उसे अच्छी प्रकार से दूसरों को जतलाती हूँ (संज्ञपयामी)

संज्ञपन शब्द का मेल के स्थान पर हिंसापरक अर्थ करना अज्ञानता का परिचायक है।

शंका 6 : वेदों में गोघ्न अर्थात गायों के वध करने का आदेश है।

समाधान : गोघ्न शब्द में हन धातु का प्रयोग है जिसके दो अर्थ बनते है हिंसा और गति। गोघ्न में उसका गति अथवा ज्ञान, गमन, प्राप्ति विषयक अर्थ है। मुख्य भाव यहाँ प्राप्ति का है, अर्थात जिसे उत्तम गौ प्राप्त कराई जाये।

हिंसा के प्रकरण में वेद का उपदेश गौ कि हत्या करने वाले से दूर रहने का है।

ऋग्वेद 1 /114 /10 में लिखा है जो गोघ्न – गौ कि हत्या करनेवाला है अह नीच पुरुष है , वह तुमसे दूर रहे।

वेदों के कई उदाहरणों से पता चलता है कि ‘हन्’ का प्रयोग किसी के निकट जाने या पास पहुंचने के लिए भी किया जाता है उदहारण में अथर्ववेद 6 /101 /1 में पति को पत्नी के पास जाने का उपदेश है। इस मंत्र का यह अर्थ कि पति पत्नी के पास जाये उचित प्रतीत होता हैं नाकि पति द्वारा पत्नी को मारना उचित सिद्ध होता हैं। इसलिए हनन का केवल हिंसा अर्थ गलत परिपेक्ष में प्रयोग करना भ्रम फैलाने के समान है।

(जारी…)

2 thoughts on “क्या वेदों में पशुबलि, माँसाहार आदि का विधान है?-2

  • अच्छा लेख.

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया लेख माला !

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