गीतिका/ग़ज़ल

गजल- ****अच्छा होगा****

फिक्र करें क्यों-कल क्या होगा.
सब कुछ उसका चाहा होगा.
वो अन्याय नहीं करता है,
जो भी होगा,अच्छा होगा.
तेरे साथ हँसे-रोये वो,
तुझसे कुछ तो रिश्ता होगा.
वो हर बात सुनेगा लेकिन,
सच्चे दिल से कहना होगा.
खुश हो या नाराज रहे पर.
जो अपना है,अपना होगा.
उसका तो अंदाज अलग है,
जो बोलेगा,चर्चा होगा.
बेटी को आने दो जग में,
वरना कैसे बेटा होगा.
हमको वो मिल ही जायेगा,
जो भी हमको मिलना होगा.
डाॅ. कमलेश द्विवेदी
मो.09415474674

One thought on “गजल- ****अच्छा होगा****

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह ! बहुत सुन्दर ग़ज़ल !

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