कविता

हाइकु कविताएँ

हाथों में छाले
किस्मत की अभागी
रोटी की लाले ।

बनो तो सही
आस की एक ज्योति
सुख है वही ।

जागती रातें
पलक सोये स्वप्न
नींदे को ताके ।

सिसका वन
लूट ले गयी लाज
आधुनिकता ।

स्वेद की बूँद
मोती बन बिखरे
किस्मत पृष्ठ ।

सहमी खड़ी
इंसानियत खोटी
बातें है बड़ी ।

गुंजन अग्रवाल

नाम- गुंजन अग्रवाल साहित्यिक नाम - "अनहद" शिक्षा- बीएससी, एम.ए.(हिंदी) सचिव - महिला काव्य मंच फरीदाबाद इकाई संपादक - 'कालसाक्षी ' वेबपत्र पोर्टल विशेष - विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं व साझा संकलनों में रचनाएं प्रकाशित ------ विस्तृत हूँ मैं नभ के जैसी, नभ को छूना पर बाकी है। काव्यसाधना की मैं प्यासी, काव्य कलम मेरी साकी है। मैं उड़ेल दूँ भाव सभी अरु, काव्य पियाला छलका जाऊँ। पीते पीते होश न खोना, सत्य अगर मैं दिखला पाऊँ। छ्न्द बहर अरकान सभी ये, रखती हूँ अपने तरकश में। किन्तु नही मैं रह पाती हूँ, सृजन करे कुछ अपने वश में। शब्द साधना कर लेखन में, बात हृदय की कह जाती हूँ। काव्य सहोदर काव्य मित्र है, अतः कवित्त दोहराती हूँ। ...... *अनहद गुंजन*

2 thoughts on “हाइकु कविताएँ

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    हाइकु बहुत अछे लगे , मुझ पंजाबी को भी समझ आ गए .

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छे हायकु। इसी प्रकार सरल शब्दों में लिखे हायकु मुझे अच्छे लगते हैं।

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