याद आती हो तुम ……..
मैं चाहता हूँ
मेरी आखिरी साँस में
राम नहीं सिर्फ़ तेरा ही नाम हो
मेरे जेहन में सिर्फ़ तेरा ही ख़याल हो
मेरी बाँहों में सिर्फ़ तेरी ही यादें हों
मेरी बंद आँखों में
सिर्फ़ तेरी ही मूरत हो
और मैं ले जाना चाहता हूँ …..
तेरी यादें उस पार
अपने साथ ….
देखो फिर मैं कभी भी
उदास नहीं होऊंगा
उस पार भी
बताओ ना …
ले जाने दोगी अपनी यादें
मुझे मेरे साथ …..
……..मोहन सेठी ‘इंतज़ार’