कवितागीत/नवगीत

कविता – अनकही !

है सदा तमन्ना मेरे दिल में, कुछ तुझ सी बातें पाने की

कभी तुझमे जो है पाने की, कभी बस तुझको ही पाने की

है लाख अदाएं तेरी उसमे

एक तो है मेरे ही लिए

यूँ ही तो नहीं मिलता ही कोई

राहों से गुजर जाने के लिए

यह आस रही मेरे दिल में ,कुछ साथ सा तेरा पाने की

कभी नजरों से ही मिलने की ,कभी हाथो में हाथ मिलाने की

जो बही हवाएं छूकर तुझको

मुझ तक भी तो आती है कभी

यूँ ही क्यूँ मैं गिनुं फासले

करीब तेरे आने के लिए

है बेताबी गीतों में मेरे ,कुछ लब से तेरे छूने की

कभी दूर से ही सुनाने की ,कभी साथ में तेरे गाने की

मैं तेरी आँखों में जब भी देखूं

तस्वीर तो मेरी दिखाती है

फिर क्यूँ दिल में तेरे झाँकू

सपनो में तेरे रहने के लिए

हसरत भी है दिल में मेरे ,कुछ प्यार सा तेरा पाने की

कभी चकोर बन भटकने की ,कभी बादल बन लिपटने की

लफ्जों को तो न कहा था हमने

शायरी सी गुस्ताखी करने को

न तेरा कुछ भी पाने को

न तुझ सा कुछ भी खोने को

जब बिना कहे भी सुनती रही हर बात तू मेरे धड़कन की

कुछ कह दी है अपने मन की कुछ सुन ली है तेरे मन की

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सचिन परदेशी

संगीत शिक्षक के रूप में कार्यरत. संगीत रचनाओं के साथ में कविताएं एवं गीत लिखता हूं. बच्चों की छुपी प्रतिभा को पहचान कर उसे बाहर लाने में माहिर हूं.बच्चों की मासूमियत से जुड़ा हूं इसीलिए ... समाज के लोगों की विचारधारा की पार्श्वभूमि को जानकार उससे हमारे आनेवाली पीढ़ी के लिए वे क्या परोसने जा रहे हैं यही जानने की कोशिश में हूं.

5 thoughts on “कविता – अनकही !

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    बहुत बढ़िया

  • अच्छी कविता.

    • सचिन परदेशी

      धन्यवाद ! भामराजी ! आभार |

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत खूब ! बहुत सुन्दर प्रेम कविता !

    • सचिन परदेशी

      बहोत बहोत आभार बड़े बंधू !

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