राजनीति

भारत के लिए बड़ा खतरा है पाक-चीन का गठजोड़

भारत के पड़ोस में दो देश ऐसे हैं जो कभी भी सुधरने वाले नहीं हैं। भारत के लिए पाक और चीन अब सदा के लिए गम्भीर खतरा बने रहेंगे। विगत सप्ताहों में कुछ ऐसे समाचार प्राप्त हुए हैं जो कि बेहद चिंता पैदा करने वाले हैं तथा उनसे भविष्य के नये खतरों की आहट महसूस भी की जा रही है। अभी पाक से समाचार आया है कि मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड एवं आतंकी जकीउर-रहमान-लखवी को लाहौर हाइकोर्ट के आदेश के बाद रिहा कर दिया गया है। भारत व अंतर्राष्ट्रीय दबाव भी पाक पर किसी प्रकार का दबाव नहीं बना सका। इस पर पूरे प्रकरण पर उसने भारत पर आरोप लगाया है कि लखवी की आसान रिहाई के लिए काफी हद तक भारत जिम्मेदार है। एक प्रकार से उल्टा चोर कोतवाल को डांट रहा हैं। लखवी की रिहाई से पाकिस्तान का आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के नाम पर दोहरा चरित्र भी उजागर हो गया है। एक ओर वह अपने यहां कुछ इलाकों में आतंकी ठिकानों पर ड्रोन हवाई हमले करके आतंकियों को ढेर कर रहा है तथा कुछ को फांसी पर लटका रहा है वहीं भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त आतंकी संगठनों और लोगों को सुरक्षा कवच उपलब्ध करा रहा है।

एक प्रकार से पाक सेना व आईएसआइ के नेतृत्व में भारत विरोधी हर प्रकार की गतिविधियां पूरी तरह से बेरोकटोक चल रही हैं। पाकिस्तान में आतंकी लखवी की रिहाई का मसला प्रधानमंत्री मोदी की फ्रांस में यात्रा में भी उठा। साथ ही अमेरिका ने भी इस प्रकरण पर पाकिस्तान से अपनी चिंता और नाराजगी जाहिर कर दी है। दूसरी ओर एक खबर यह भी है कि पाकिस्तान का एक जासूसी विमान भारत के ऊपर चक्कर लगा रहा था तब बीएसएफ ने पाकिस्तान से अपनी आपत्ति जताई हैं। यह सभी बातें हैं जोकि भारत पाक के बीच सम्बंधों को सामान्य बनाने में बेहद बाधक हो रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी का यह कहना बिल्कुल सही है कि पाकिस्तान के साथ हर प्रकार की वार्ता तभी हो सकती है जब वातावरण पूरी तरह से हिंसामुक्त हो। लेकिन पाक आर्मी, आईएसआई फिलहाल ऐसा नहीं चाहते।

कुछ दिनों पूर्व यह भी समाचार प्राप्त हुआ है कि अब चीन पाकिस्तानी सेना को हर सम्भव मदद उपलब्ध कराने जा रहा है। इस पहली कड़ी में चीन पाकिस्तान को 8 पनडुब्बी देने जा रहा है। यह पनडुब्बी सभी प्रकार के हथियारों को ले जाने में सक्षम होंगी। निश्चय ही इनका उपयोग पाकिस्तान आवश्यकता पड़ने पर भारत के खिलाफ ही करेगा।

उधर चीन भी लगातार यह कोशिश कर रहा है कि पड़ोसी व अंतर्राष्ट्रीय समुदाय भारत के साथ अधिक गहरी दोस्ती न कर सके। इसके लिए वह हर प्रकार के दांवपेंच चल रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की पहली योरोप यात्रा से यदि कोई देश सर्वाधिक चिंतित हो रहा है तो वह चीन है। आज की तारीख में यदि किसी देश की मीडिया में सबसे अधिक मोदी की यात्राओं की चर्चा हो रही हैे तो वह चीन है। अभी तक मेक इन चाइना के नाम पर चीन दुनियाभर के देशों में अपना प्रभुत्व जमाता जा रहा था लेकिन अब प्रधानमंत्री मोदी ने मेक इन इंडिया का नारा देकर इस क्षेत्र में चीन का प्रभुत्व कुछ सीमा तक तोड़ने में सफलता प्राप्त कर ली है। चीनी मीडिया में प्रधानमंत्री मोदी की यात्राओं को लेकर नकारात्मक लेख लिखे जा रहे हैं।

चीन के सरकारी अखबार चाइना डेली के अनुसार तिब्बत और नेपाल के बीच 540 किमी लम्बा रेलमार्ग बनाने की योजना है। एक चीनी रेल विशेषज्ञ वांग वेमशू का कहना है कि यदि यह परियोजना मूर्तरूप लेती है तो द्विपक्षीय व्यापार पर्यटन और जनता से जनता के संपर्क को बढ़ावा मिलेगा। चाइना-डेली के अनुसार इस योजना के तहत माउंट एवरेस्ट के नीचे सुरंग बनाई जा सकती है। वांग का कहना है कि इस लाइन पर ऊंचाई में आने वाले बदलाव उल्लेखनीय हैं। इस लाइन पर रेलों की अधिकतम गति संभवतः 120 किमी प्रति घंटा होगी। यहां पर कर्मचारियों को बहुत लंबी सुरंग भी खोदनी पड़ सकती है। वांग का कहना है कि इस रेल परियोजना का काम नेपाल के अनुरोध पर किया जा रहा हैं। चीन की ओर से तैयारी भी शुरू हो गयी है। नेपाल के अलावा चीन अपने तिब्बती नेटवर्क का विस्तार भूटान और भारत तक करने की पहले ही घोषणा कर चुका है।

चीन नेपाल के साथ अपने सम्बंध बढ़ा रहा है। ताकि नेपाल के रास्ते धर्मशाला जाकर दलाई लामा से मिलने वाले तिब्बतियों के प्रवाह को रोका जा सके। यह भारत के लिए बेहद चिंता का कारण हो सकता है। साथ ही यदि माउंट एवरेस्ट के नीचे सुरंग बनाकर रेलमार्ग बनाया जायेगा तो यह पर्यावरण के लिए भी बेहद गंभीर खतरा हो जायेगा। दूसरी ओर प्रधानमंत्री मोदी की मई में प्रस्तावित चीन यात्रा से पहले चीन ने एक बयान जारी करके कहा है कि अरुणाचल प्रदेश पर भारत संग मतभेद अकाटय तथ्य है। अरुणांचल प्रदेश में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम की अवधि बढ़ाने के सवाल पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह बात कही है। उनके अनुसार सीमा विवाद पर चीन का रुख सदा स्पष्ट रहा है। दोनों पक्षों को सीमावर्ती इलाकों में शांति और स्थिरता बनाये रखने के लिए साझा प्रयास करना चाहिए।

ज्ञातव्य है कि अरुणाचल प्रदेश की सीमा 1126 किमी लम्बी है और 520 किमी लम्बी सीमा मयांमार के साथ मिलती हैं चीन अरुणांचल प्रदेश पर लगातार अपना दावा पेश करता रहा है। एक प्रकार से चीन अपना दावा ही पेश करता नजर आ रहा है। भारत के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति यदि अरुणाचल के दौरे पर जाते हैं तो चीन अपनी आपत्ति जताता है। एक प्रकार से चीन और पाक अब भारत के परम्परागत शत्रु हो चुके हैं। इन दोनों ही देशों से मधुर सम्बंधों की उम्मीद रखना एक प्रकार से अपने आपको धोखा देना व देश की सुरक्षा को खतरे में डालना है।

मृत्युंजय दीक्षित

One thought on “भारत के लिए बड़ा खतरा है पाक-चीन का गठजोड़

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छा लेख। चीन और पाकिस्तान दोनों कमीने देश हैं। इन पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं करना चाहिए।

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