गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य

दो दिन की ज़िंदगी में…!!

हर किसी को मुहब्बत में करार नहीं मिलता,
दो दिन की ज़िंदगी में प्यार नहीं मिलता…
हो जाती है दिल्लगी अजनबियों से,
पर अपनों से दिलों व्यापार नहीं मिलता…
खुशियों के लिए ताउम्र भटकता रहा “अंसु”,
इश्क-ए-मुश्क का इक बार भी दीदार नहीं मिलता…
कोई कहता है कि लौट जा तू आज ही राही,
काँटों की राह में फूलों का हार नहीं मिलता….
कितने भी गहरे ज़ख्म जमाने ने दे दिए,
सहे हमने फिर भी मेरा यार नहीं मिलता…
वफ़ा करके भी बेवफ़ा का तमगा लग गया मुझ पर,
बेवफ़ा या यार मुझे वफ़ादार नहीं मिलता…
तन्हाइयों की छांव मैं बैठा रहा ताउम्र,
प्यार के कलरव का मुझे इजहार नहीं मिलता…
तू महबूब बन ऐ खुदा! मेरी रूह में समा,
इंसान का तो इंसान से सरोकार नहीं मिलता…!!!

सूर्यनारायण प्रजापति

जन्म- २ अगस्त, १९९३ पता- तिलक नगर, नावां शहर, जिला- नागौर(राजस्थान) शिक्षा- बी.ए., बीएसटीसी. स्वर्गीय पिता की लेखन कला से प्रेरित होकर स्वयं की भी लेखन में रुचि जागृत हुई. कविताएं, लघुकथाएं व संकलन में रुचि बाल्यकाल से ही है. पुस्तक भी विचारणीय है,परंतु उचित मार्गदर्शन का अभाव है..! रामधारी सिंह 'दिनकर' की 'रश्मिरथी' नामक अमूल्य कृति से अति प्रभावित है..!

4 thoughts on “दो दिन की ज़िंदगी में…!!

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया ! आपने ग़ज़ल लिखने की कोशिश की है, पर कुछ तकनीकी कमियाँ रह गयी हैं. जल्दी ही मैं “ग़ज़लों” पर लेख प्रस्तुत करूँगा, जिससे सबको जानकारी मिलेगी.

    • सूर्यनारायण प्रजापति

      जी बड़े भाईसाहब… मेरी कोशिशें यूं ही अनवरत जारी रहेगी..

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत अच्छी ग़ज़ल

    • सूर्यनारायण प्रजापति

      धन्यवाद जी

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