क्षणिकाएं
1- निशाने पर
उसी शहर उसी गली उसी मोड़ उसी ठिकाने पर हूँ मैं
तेरी घायल कर देने वाली निगाहों के निशाने पर हूँ मैं
२- तन्हाई
नहीं है तेरे सिवा मेरा कोई
तू ही तो है मेरी तन्हाई
3-हुस्न
तेरे प्यार की ख़ुश्बू से महकने लगा हूँ
तेरे हुस्न की आंच से दहकने लगा हूँ
४-इज़हार
तुम करो न करो मुझसे प्यार
मैं तो
करता रहूँगा प्रेम का इजहार
५-कश्ती
साहिल तक पहुँच पायी कश्ती
लगा जैसे
मंझधार में वो कर रही हो मस्ती
६-परवाह
तेरे मन में
मेरे प्रति भले न हो चाह
पर मैं तो हर पल
करता हूँ तेरी परवाह
७-अपमान
जब तक तेरे इश्क़ में
मैं न होऊं बदनाम
तब तक
इश्क़ का होगा अपमान
८- चाहत
मैं चाहता हूँ
रोज तुझसे मिलना
तेरे मन उपवन में
हर दिन फूलों सा खिलना
९-संग मेरे
संग मेरे
अतीत के संयोग के हैं पल
और
भविष्य के वियोग के हैं पल
किशोर कुमार खोरेन्द्र
क्षणिकाएं पड़ कर मज़ा आ गिया खोरेंदर भाई .
अच्छी क्षणिकाएं !