क्षणिका

क्षणिकाएं

1- निशाने पर

उसी शहर उसी गली उसी मोड़ उसी ठिकाने पर हूँ मैं
तेरी घायल कर देने वाली निगाहों के निशाने पर हूँ मैं

२- तन्हाई

नहीं है तेरे सिवा मेरा कोई
तू ही तो है मेरी तन्हाई

3-हुस्न

तेरे प्यार की ख़ुश्बू से महकने लगा हूँ
तेरे हुस्न की आंच से दहकने लगा हूँ

४-इज़हार

तुम करो न करो मुझसे प्यार
मैं तो
करता रहूँगा प्रेम का इजहार

५-कश्ती
साहिल तक पहुँच पायी कश्ती
लगा जैसे
मंझधार में वो कर रही हो मस्ती

६-परवाह
तेरे मन में
मेरे प्रति भले न हो चाह
पर मैं तो हर पल
करता हूँ तेरी परवाह

७-अपमान
जब तक तेरे इश्क़ में
मैं न होऊं बदनाम
तब तक
इश्क़ का होगा अपमान

८- चाहत

मैं चाहता हूँ
रोज तुझसे मिलना
तेरे मन उपवन में
हर दिन फूलों सा खिलना

९-संग मेरे

संग मेरे
अतीत के संयोग के हैं पल
और
भविष्य के वियोग के हैं पल

किशोर कुमार खोरेन्द्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

2 thoughts on “क्षणिकाएं

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    क्षणिकाएं पड़ कर मज़ा आ गिया खोरेंदर भाई .

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी क्षणिकाएं !

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