कुछ मत बोलो
दीवारों के भी कान होते हैं -उसने कहा
यदि वृक्ष, तितलियाँ ,फूल
सुन भी लेंगें तो क्या होगा -मैंने कहा
प्यार के नि :शब्द होता है
उसे अभिव्यक्त नहीं किया जा सकता -उसने कहा
उसे स्पंदन में ,नसों के भीतर प्रवाहित लहूँ में
महसूस किया जा सकता है
हमारी आत्मा की देह के रोम रोम को प्यार स्पर्श करता हैं -उसने कहा
किशोर
बहुत खूब .
thankx a lot
बढ़िया !
thankx