गीत/नवगीत

कोई और राह तलाश कर

ऐ जिंदगी हार के ऐसे तू दिल को न निराश कर,
मंजिल तक पहुँचने का कोई और राह तलाश कर।

सफलता रुठे रुठने दो धैर्य का बाँध कभी न टूटे,
किस्मत सोये तो सोने दे उम्मिद का दीप कभी न बूझे,
वक्त सबको साथ ले आयेगा तू अपना अभ्यास कर…

कायर को अपना हर काम लगता है नामुमकिन,
परिस्थिति को बदल देते हैं कर्मवीर एक दिन,
अपनी शर्तें पूरा करने का तू जरा प्रयास कर…

मुस्किल वक्त में भी अपना हौसला बढ़ाना है,
सारी दुनिया जीत के नभ में उड़ान लगाना है,
ऐसा करके दिखायेंगे खुद पर जरा विश्वास कर,
मंजिल पर पहुँचने का कोई और राह तलाश कर।

– दीपिका कुमारी दीप्ति

दीपिका कुमारी दीप्ति

मैं दीपिका दीप्ति हूँ बैजनाथ यादव की नंदनी, मध्य वर्ग में जन्मी हूँ माँ है विन्ध्यावाशनी, पटना की निवासी हूँ पी.जी. की विधार्थी। लेखनी को मैंने बनाया अपना साथी ।। दीप जैसा जलकर तमस मिटाने का अरमान है, ईमानदारी और खुद्दारी ही अपनी पहचान है, चरित्र मेरी पूंजी है रचनाएँ मेरी थाती। लेखनी को मैंने बनाया अपना साथी।। दिल की बात स्याही में समेटती मेरी कलम, शब्दों का श्रृंगार कर बनाती है दुल्हन, तमन्ना है लेखनी मेरी पाये जग में ख्याति । लेखनी को मैंने बनाया अपना साथी ।।