कविता

आपका चरणवंदन गुरुदेव

गुणवान, निधान ज्ञान सागर प्रणाम आपके चरणों में॥
हे गुरुदेव हे पथदर्शक , दिल प्राण आपके चरणों में॥

हम मूढ मति, तुम गूढ ज्ञान के ज्ञाता,गुरुवर नमन तुम्हे।
तुम ज्ञान दीप रोशन कर्ता, आचमन तुम्हे आचमन तुम्हे॥
मिल गया गुरु वरदान, ये जीवन आपके चरणों में….
हे गुरुदेव हे पथदर्शक , दिल प्राण आपके चरणों में……

वाणी को अमृत दान दिया, जिज्ञासा सकल समान दिया।
सदमार्ग दिखाकर गुरुदेव, जीवन ज्योति वरदान दिया ॥
पाया है जटिल पलों का सकल निदान आपके चरणों मे…..
हे गुरुदेव हे पथदर्शक , दिल प्राण आपके चरणों में…..

जाने किस और भटक जाता, इस अंधियारों के जंगल में।
दी कर्म धर्म की परिभाषा, और भेद अमंगल मंगल में
हमने पा लिया समूचा जीवन सार आपके चरणों में….
हे गुरुदेव हे पथदर्शक , दिल प्राण आपके चरणों में…..

धरती पर ईश्वर रूप गुरु
आदित्य तेज स्वरूप गुरु ।
नित वंदित, पूज्यपाद जानो
गुरु चरण की महिमा पहचानो
गुरु जीवन के निर्माता है
हम सब के भाग्य विधाता है
हे जीवन के आधार नमन शत बार आपके चरणों में….
हे गुरुदेव हे पथदर्शक , दिल प्राण आपके चरणों मे…..

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.