गीत/नवगीत

श्रीकृष्ण भजन

 

हे नटवर, लीलाधारी अब आओ कृष्णमुरारी
धरती संतप्त तुम्हारी आ जाओ हे गिरधारी

मार-काट,बस लूट-पाट, अब ये दुनिया हैवान हुई
बमधमाकों और गोलियों से ख़िल्क़त हलकान हुई
आज कंस फिर जाग उठा है, कष्ट हरो बनवारी
हे नटवर, लीलाधारी अब आओ कृष्णमुरारी
धरती संतप्त तुम्हारी ……..

आये दिन अबला की अस्मत लुटती है चौराहों पर
अबभी तरस नहीं खाता दुर्योधन उनकी आहों पर
दुष्ट दुशासन पांव-पसारे, हे गोवर्धनधारी
हे नटवर, लीलाधारी अब आओ कृष्णमुरारी
धरती संतप्त तुम्हारी …….

गोपगोपियां, ग्वालबाल, ब्रजगोकुल सभी गुहार करें
कबआयेगा कृष्णकन्हैया सबमिल यही विचारकरें
व्याकुल है वृष’भान’-दुलारी, आओ रासबिहारी
हे नटवर, लीलाधारी अब आओ कृष्णमुरारी
धरती संतप्त तुम्हारी …….

— उदय भान पाण्डेय ‘भान’
‘श्रीकृष्ण जन्माष्टमी’: सितम्बर’५,२०१५
( ख़िल्क़त — सृष्टि )

उदय भान पाण्डेय

मुख्य अभियंता (से.नि.) उप्र पावर का० मूल निवासी: जनपद-आज़मगढ़ ,उ०प्र० संप्रति: विरामखण्ड, गोमतीनगर में प्रवास शिक्षा: बी.एस.सी.(इंजि.),१९७०, बीएचयू अभिरुचि:संगीत, गीत-ग़ज़ल लेखन, अनेक साहित्यिक, सामाजिक संस्थाओं से जुड़ाव

One thought on “श्रीकृष्ण भजन

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    अशेष शुभकामनायें

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