सामाजिक

‘बधाई’ और ‘शुभकामनायें’

‘बधाई’ और ‘शुभकामनायें’ ये दो ऐसे शब्द हैं जिनका अधिकांश लोग उपयोग करते हैं। कई बार इनका उपयोग एक-दूसरे के पर्यायवाची अर्थात् समानार्थक के रूप किया जाता है, बिना यह जाने कि ये दोनों शब्द वास्तव में अलग-अलग हैं और इनके अर्थ अलग-अलग हैं। कई लोग दोनों शब्दों का एक साथ प्रयोग भी कर डालते हैं, बिना यह सोचने का कष्ट किये कि किसी परिस्थिति में कौन सा शब्द प्रयोग करना उचित होगा। सही शब्द प्रयोग के लिए दोनों शब्दों का अर्थ ठीक-ठीक समझ लेना आवश्यक है।

बधाई ऐसे अवसरों पर दी जानी चाहिए जब हमें अपने किसी कार्य में सफलता प्राप्त हुई हो, जैसे सन्तान प्राप्त होना, परीक्षा में सफलता, नौकरी में प्रोमोशन, कोई पुरस्कार जीतना अथवा ऐसे ही किसी कार्य में सफल होना। इसके विपरीत शुभकामनायें ऐसे अवसरों पर दी जानी चाहिए जब भविष्य में सफलता प्राप्त होने की आशा हो, जैसे परीक्षा में बैठना, इंटरव्यू के लिए जाना, लम्बी यात्रा पर जाना, कोई अच्छा कार्य प्रारम्भ करना आदि।

इसको यों भी समझा जा सकता है कि जो उपलब्धियाँ हमें प्राप्त हो चुकी हैं, उनके लिए बधाई और जो उपलब्धियाँ आगे प्राप्त हो सकती हैं उनके लिए शुभकामनाएँ दी जानी चाहिए।

कई लोग इनका मनमाना प्रयोग करते हैं जिससे हास्यास्पद परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है, जैसे होली-दिवाली पर बधाई देना। इन त्यौहारों के आने में हमारा कोई प्रयास नहीं होता, बल्कि ग्रहों की गति के कारण ही ये अवसर आते हैं। अतः यदि बधाई देनी ही हो, तो सूर्य-चन्द्र आदि को देनी चाहिए। सही व्यवहार यह है कि हम इन अवसरों पर एक-दूसरे को शुभकामनायें दें।

मुझे लगता है कि यह गड़बड़झाला पंजाब की एक परम्परा के कारण उत्पन्न हुई है। कई बार गुरु नानक देव या गुरु गोविन्द सिंह जी के जन्मदिवस पर ऐसे बैनर लगे दिखाई पड़ जाते हैं- ‘गुरु महाराज के प्रकाश पर्व पर सभी सिख संगत नूँ लख-लख बधाई होवे जी।’ ऐसे बैनर भावनाओं में सही होने पर भी अर्थ की दृष्टि से गलत हैं, इसके स्थान पर बैनर इस प्रकार लगाना चाहिए- ‘गुरु महाराज के प्रकाश पर्व पर सभी सिख संगत नूँ हार्दिक शुभकामनायें’।

बधाई और शुभकामनाओं का कुछ अवसरों पर एक साथ प्रयोग भी किया जा सकता है, जैसे हम किसी विद्यार्थी को उसकी परीक्षा में सफलता पर बधाई और आगे भी ऐसी सफलतायें मिलती रहें, इसके लिए शुभकामनायें दे सकते हैं।

कहने का तात्पर्य है कि हमें दोनों शब्दों का सही अर्थ समझकर सही अवसर पर ही उनका उपयोग करना चाहिए।

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: jayvijaymail@gmail.com, प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- vijayks@rediffmail.com, vijaysinghal27@gmail.com

5 thoughts on “‘बधाई’ और ‘शुभकामनायें’

  • शशि शर्मा 'ख़ुशी'

    बिल्कुल सही कहा आपने,,,आजकल ये घालमेल बहुत अधिक चल रहा है |
    बहुत अच्छी जानकारी दी आपने |

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    याद रखने लायक अच्छी जानकारी
    आभारी हूँ

    • विजय कुमार सिंघल

      धन्यवाद, बहिन जी !

  • Man Mohan Kumar Arya

    Sarahniya avam prasansniy margdarshan. Dhanyawad.

    • विजय कुमार सिंघल

      आभार, मान्यवर !

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