उपन्यास अंश

अधूरी कहानी: अध्याय-24: जेब्रा ब्रिज

स्नेहा को किसी काम से जयपुर आना था स्नेहा ने समीर को फोन किया और कहा समीर कल मेरी जयपुर में मीटिंग है तो मैं कल आ रही हूॅ तो क्या तुम मुझसे मिलने आओगे समीर बोला हाॅ जरूर आऊॅगा पर समीर तुम मिलोगी किस टाइम तब स्नेहा बोली मैं कल लगभग 12:30 बजे तक आ जाऊंगी फिर 2 से 4 बजे के बीच मेरी मीटिंग है तो क्या तुम मुझे शाम 6 बजे जेब्रा ब्रिज पर मिल सकते हो तब समीर बोला थोड़ा दूर है पर मैं तुमसे मिलने जरूर आऊंगा। स्नेहा बोली ठीक है अभी मुझे पैकिंग करनी है ओके बाय एन्ड सी यू टुमारो समीर ने भी बाय कहकर फोन रख दिया।

अगले दिन स्नेहा फ्लाइट पकड़ कर जयपुर पहुँच गयी तथा आज वह बहुत खुश थी क्योंकि जिस समीर से वह फेसबुक या ईमेल से बातें करती थी आज वह उसके सामने होगी स्नेहा ने होटल में पहले ही रूम बुक कर लिया था वह टैक्सी पकड़कर होटल गयी वहाँ फ्रैश होकर खाना खाकर मीटिंग के लिये निकल पड़ी स्नेहा मीटिंग खत्म करने के बाद टैक्सी पकड़कर सीधे जेब्रा ब्रिज निकल गयी समीर लेट हो गया था इसलिए स्नेहा को उसका काफी इन्तजार करना पड़ा तभी एक कार आकर वहां रूकी उसमें से समीर निकला स्नेहा उसे दूर से ही देखकर पहचान गयी समीर के हाथों में बुके था समीर स्नेहा के पास आया और उसे बुके देकर बोला साॅरी स्नेहा मैं लेट हो गया और मैंने तुम्हें काफी इन्तजार कराया तब स्नेहा बोली इट्स ओके पर ये बुके लाने की क्या जरूरत थी।

समीर बोला जब किसी लड़की ने खुद मुझे मिलने बुलाया तो खाली हाथ तो जा नहीं सकता मैं फिर स्नेहा बोली जब मेरे दादाजी जिंदा थे तब वो हर महीने मुझे यहाँ लाते था और स्नेहा सैड हो गयी समीर बोला इसमें इतना परेशान होने वाली बात क्या है मै तुम्हें यहां ले आया करूंगा स्नेहा हँसने लगी और बोली समीर अब मैं दिल्ली मे रहती हूॅ और समीर का ऊपर स्नेहा ने पानी उछाल दिया समीर एकदम उछल पड़ा स्नेहा जोर से हँसने लगी बाते करते-करते कब अंधेरा हो गया उन्हें पता ही नहीं चला।

फिर वो दोनों रेत पर चलने लगे तथा कार की तरफ जाने लगे तभी समीर ने स्नेहा का हाथ पकड़ लिया और बोला स्नेहा मुझसे शादी करोगी तब स्नेहा शरमा गयी और बोली मैंने न थोड़े ही कहा है फिर दोनों कार तक पहुँच गये समीर ने स्नेहा को ड्राइव करने को कहा तो स्नेहा कार ड्राइव करने लगी तब स्नेहा ने पूछा तुमने मुझे ड्राइव करने को क्यों कहा तब समीर बोला अगर मैं ड्राइव करता तो तुम्हारा खूबसूरत चेहरा कैसे देखता स्नेहा ये सुनकर बोली तुम बड़े शरारती हो यार समीर और स्नेहा होटल पहुँच चुके थे

स्नेहा गाड़ी से उतरी और समीर को साथ आने को कहा समीर उसके साथ रूम तक गया स्नेहा ने रूम खोला और समीर को बैठने को कहा समीर बोला स्नेहा मैं तुम्हें कुछ अपने बारे में बताना चाहता हूॅ स्नेहा बोली बताओ तब समीर ने कहा कि एक मेरी गर्लफ्रैड थी जिसका नाम रेनुका था मैं उससे अब भी बहुत प्यार करता हूॅ पर उसने कही और शादी कर ली है और समीर एकदम चुप हो गया तब स्नेहा बोली समीर मुझे सब पता है इस बारे में और स्नेहा समीर के पास आकर बैठ गयी समीर ने स्नेहा का हाथ पकड़कर चूम लिया जिससे स्नेहा के होंठ कांपने लगे समीर ने स्नेहा के होंठों पर अपने होंठ रख दिये और वो कब एक-दूसरे में खो गये पता ही नहीं चला कब सुबह हो गयी।

दयाल कुशवाह

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