गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

दिल मेरा तुमने चुराया न होता
तो मै भी किनारों पे आया न होता

दिखाकर मुझे अपनी सारी अदाएं
दीवाना बनाकर रिझाया न होता

बताकर हुनर सादगी में तुम सयानी
मुझे पास अपने बुलाया न होता

फिजाओं में चाहत की खुशियाँ बिछाकर
दिशाओं को यूँ फुसलाया न होता

जमाना कहें चाहे मुझको दीवाना
इशारों ने मन बहलाया न होता

महातम मिश्र

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ

4 thoughts on “गीतिका

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    वाह आदरणीय सुंदर लाजवाब गीतिका जय माँ शारदे

    • महातम मिश्र

      सादर धन्यवाद आदरणीया श्री राजकिशोर मिश्र जी, जय माँ शारदे, जय माता दी

  • वैभव दुबे "विशेष"

    वाह…

    • महातम मिश्र

      सादर धन्यवाद वैभव दुबे जी

Comments are closed.