कविता

उल्टा दिखता हैं…

चारो तरफ उल्टा दिखता है
भारत की संस्कृति बदलती जा रही है
छोटा बच्चा भी अपशब्द बोलता है
बडे स्नेह प्यार करना भूल गए है
छोटे आदर करना छोड दिए है
चारो तरफ………..
नेताओ की राजनीति करनी
आदत सी बन गई है
अपने हित में दुसरो के
अहित करने चले है
चारो तरफ…….
आपस में प्यार की जगह
लुट मार होने लगी है
गलती किसी की है लेकिन
दोष किसी और को लगने लगी है
चारो तरफ……..
निवेदिता चतुर्वेदी..

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४