गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

कच्चे घरों में रिश्ते पक्के होते थे
हों जैसे भी परिवार अच्छे होते थे॥

सीखते थे उम्र भर गुण बुजुर्गों से
लिए दिल में दुलार बच्चे होते थे ॥

मिल-बाँट कर खाते थे आधी रोटी
थाली भर नेह अचार खट्टे होते थे ॥

चमक होती थी मटमैले चेहरों पर
खिले मन और प्यार सच्चे होते थे॥

ज़िंदगी रेंगती थी कदम दर कदम
मंजिलों पर एतवार पक्के होते थे ॥

बगीचा आँगन में हों या ना भी हों
अपनेपन के दमदार गुच्छे होते थे॥

दीवारें जोड़ो सीमेंट से अच्छा है “कल्प”
कच्चे मन के इजहार पक्के होते हैं ॥

— कल्पना मिश्रा बाजपेई

कल्पना मनोरमा

जन्म तिथि 4/6/1972 जन्म स्थान – औरैया, इटावा माता का नाम- स्व- श्रीमती मनोरमा मिश्रा पिता का नाम- श्री प्रकाश नारायण मिश्रा शिक्षा - एम.ए (हिन्दी) बी.एड कर्म क्षेत्र - अध्यापिका प्रकाशित कृतियाँ – सारंस समय का साझा संकलन,जीवंत हस्ताक्षर साझा संकलन, कानपुर हिंदुस्तान,निर्झर टाइम्स अखबार में,इंडियन हेल्प लाइन पत्रिका में लेख,अभिलेख, सुबोध सृजन अंतरजाल पत्रिका में। हमारी रचनाएँ पढ़ सकते हो । लेखन - स्वतंत्र लेखन संप्रति - इंटर कॉलेज में अध्यापन कार्य । सम्मान - मुक्तक मंच द्वारा (सम्मान गौरव दो बार )भाषा सहोदरी द्वारा (सहोदरी साहित्य ज्ञान सम्मान) साहित्य सृजन - अनेक कवितायें तुकांत एवं अतुकांत,गजल गीत ,नवगीत ,लेख और आलेख,कहानी ,लघु कथा इत्यादि ।