कविता

कविता : फिर जल गया रावण

फिर जल गया है रावण
हर बार की तरह
फूटते पटाखों के शोर
और तालियों की
गड़गड़ाहट के बीच l

बहन के अपमान का
प्रतिशोध लेने को
जो कर बैठा दुसाहस
माता सीता के हरण का
मगर मर्यादित रहा
फिर भी
कायम रह पाई थी
वैदेही की पवित्रता l

लेकिन क्या सच में
इतना क्रूर था वह
जितने निर्मम
और विकृत मानसिकता
के गुलाम हैं ये
कलयुगी रावण l

मासूम बच्चियों को नोचते
तो कभी निर्दोष और अबोध
बचपन को
पेट्रोल छिड़ककर
आग लगा देने वाले
आततायी
या फिर मनुष्य रूप में
भूलवश जन्मे पशु ?

उदंड और अभिमानी
उस रावण का
अंत तो हो गया था
बहुत पहले
दंड स्वरुप
मगर कब अवतरित होंगे
इन कलयुगी रावणों को
संहारने वाले राम ?

मनोज चौहान
(अक्टूबर 2015 को दिल्ली में हुए मासूम बच्चियों के रेप और हरियाणा के फरीदाबाद में बच्चों को जला देने की घटना से आहत होकर दशहरे के पर्व पर 22.10.2015 को लिखी गई रचना)

मनोज चौहान

जन्म तिथि : 01 सितम्बर, 1979, कागजों में - 01 मई,1979 जन्म स्थान : हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला के अंतर्गत गाँव महादेव (सुंदर नगर) में किसान परिवार में जन्म l शिक्षा : बी.ए., डिप्लोमा (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग), पीजीडीएम इन इंडस्ट्रियल सेफ्टी l सम्प्रति : एसजेवीएन लिमिटेड, शिमला (भारत सरकार एवं हिमाचल प्रदेश सरकार का संयुक्त उपक्रम) में उप प्रबंधक के पद पर कार्यरत l लेखन की शुरुआत : 20 मार्च, 2001 से (दैनिक भास्कर में प्रथम लेख प्रकाशित) l प्रकाशन: शब्द संयोजन(नेपाली पत्रिका), समकालीन भारतीय साहित्य, वागर्थ, मधुमती, आकंठ, बया, अट्टहास (हास्य- व्यंग्य पत्रिका), विपाशा, हिमप्रस्थ, गिरिराज, हिमभारती, शुभ तारिका, सुसंभाव्य, शैल- सूत्र, साहित्य गुंजन, सरोपमा, स्वाधीनता सन्देश, मृग मरीचिका, परिंदे, शब्द -मंच सहित कई प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय पत्र - पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में कविता, लघुकथा, फीचर, आलेख, व्यंग्य आदि प्रकाशित l प्रकाशित पुस्तकें : 1) ‘पत्थर तोड़ती औरत’ - कविता संग्रह (सितम्बर, 2017) - अंतिका प्रकाशन, गाजियाबाद(ऊ.प्र.) l 2) लगभग दस साँझा संकलनों में कविता, लघुकथा, व्यंग्य आदि प्रकाशित l प्रसारण : आकाशवाणी, शिमला (हि.प्र.) से कविताएं प्रसारित l स्थायी पता : गाँव व पत्रालय – महादेव, तहसील - सुन्दर नगर, जिला - मंडी ( हिमाचल प्रदेश ), पिन - 175018 वर्तमान पता : सेट नंबर - 20, ब्लॉक नंबर- 4, एसजेवीएन कॉलोनी दत्तनगर, पोस्ट ऑफिस- दत्तनगर, तहसील - रामपुर बुशहर, जिला – शिमला (हिमाचल प्रदेश)-172001 मोबाइल – 9418036526, 9857616326 ई - मेल : mc.mahadev@gmail.com ब्लॉग : manojchauhan79.blogspot.com

2 thoughts on “कविता : फिर जल गया रावण

  • मनोज जी , आप की कविता में एक दर्द छिपा है , अब तो उस रावण को भूल जाना चाहिए किओंकि उस ने तो अपनी बहन के अपमान का बदला लिया था ,लेकिन यह मॉडर्न एज के रावण किस का बदला ले रहे हैं ? कविता बहुत अच्छी लगी .

    • मनोज चौहान

      बहुत -2 धन्यवाद सर …हौसला अफजाई के लिए …!

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