कुण्डली/छंद

खुशियां होठो पर मुस्काएं…

खुशियां होठो पर मुस्काएं, मन अनंत उदगारित हो।
हर अभिलाषा पूरित हो, और कर्म समय से कारित हो।
धन वैभव की स्वर्ण कांति से, जीवन आलोकित हो
और शोर्यगाथा का परचम इस जग को स्वीकारित हो॥

आदर और सम्मान मिले, मर्यादा रक्षा का प्रण हो
हर पल सांस घडी जीवन भर, गौरवगाथा हर क्षण हो।
आसमान से ऊंचा कद हो जीवन के आदर्शों का
सत्यसार कायम रखने को, चाहे जीवन अर्पण हो॥

पंचतत्ववका मान रखें, जीवन मूल्यों पर विकल रहे
सच्चाई की चमक से, दीप्यमान ये मस्तक पटल रहे।
ईर्ष्या द्वेष कपट से , मुक्त रहे जीवन का हर लम्हा
जीवन सार रहे हर पल, पग सत के पथ पर अटल रहे॥

हो आलोक सकल जग में, हर मन दीपक उजियारा हो
बन कर दीप जले हम सब, और दूर सकल अंधियारा हो
संस्कृति परवान चढे, ओर कर्मयोग अवतरण रहे
ज्ञान पुंज फैले सर्वस, चहुं ओर प्रेम की धारा हो।

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.