कविता

छोटी सी हूँ

छोटी सी हूँ लेकिन

छम-छम करती घर-द्वार

छोटी सी हूँ लेकिन

मात-पिता का हूँ संसार

 

कभी कूदती, कभी फाँदती

कभी मैं अम्मा से छिप जाती

कभी जो करती मैं मनमानी

वो आंगन में सारे दौड़ाती

फिर भी अम्मा ले जाती बाज़ार

छोटी सी हूँ लेकिन

छम-छम करती घर-द्वार

 

बाबा की अँगुली को थाम

लेती सब चीज़ों का नाम

हर सवाल का देते जवाब

जैसे उनको और नहीं कुछ काम

झुँझलाते हैं पूँछूँ जब सवाल हज़ार

छोटी सी हूँ लेकिन

छम-छम करती घर-द्वार

 

पायल से शोर मचाती हूँ

जब चाहें चिल्लाती हूँ

मेरे शोर पर नहीं ज़ोर

सुख देती, सुख पाती हूँ

यही है मेरे शोरों का सब सार

छोटी सी हूँ लेकिन

छम-छम करती घर-द्वार

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*नीतू सिंह

नाम नीतू सिंह ‘रेणुका’ जन्मतिथि 30 जून 1984 साहित्यिक उपलब्धि विश्व हिन्दी सचिवालय, मारिशस द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिन्दी कविता प्रतियोगिता 2011 में प्रथम पुरस्कार। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख, कहानी, कविता इत्यादि का प्रकाशन। प्रकाशित रचनाएं ‘मेरा गगन’ नामक काव्य संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2013) ‘समुद्र की रेत’ नामक कहानी संग्रह(प्रकाशन वर्ष - 2016), 'मन का मनका फेर' नामक कहानी संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2017) तथा 'क्योंकि मैं औरत हूँ?' नामक काव्य संग्रह (प्रकाशन वर्ष - 2018) तथा 'सात दिन की माँ तथा अन्य कहानियाँ' नामक कहानी संग्रह (प्रकाशन वर्ष - 2018) प्रकाशित। रूचि लिखना और पढ़ना ई-मेल n30061984@gmail.com