कहानी

फिर से आबाद संसार

 किशोरी लाल ने जब से होश संभाला था ,उस को गरीबी के साथ ही जूझना पड़ा था,जैसे किशोरी और गरीबी का चोली दामन का रिश्ता हो। गाँव में किसानों के खेतों में काम करके घर का खर्च चलाया ,शादी की तो उस की बीवी भी उस के साथ ही हो ली। एक बेटी नेहा भगवान ने दी लेकिन उस को अच्छी तरह पड़ा नहीं सका। आठवीं कक्षा तक पड़ाई ही बेटी की डिग्री थी और दुखद बात यह थी कि बेटी सांवले रंग की होने के कारण यह भी चिंता रहती  थी कि उस की शादी कैसे होगी। बस एक ही हुनर था किशोरी लाल के पास ,अपने छोटे से घर में गमलों में तरह तरह के फूल लगाना और जब ही फूल के कुछ पौदे  बड़े हो जाते   तो उन्हें जब भी शहर जाता दुकान वालों को बेच देता। धीरे धीरे शहर के बहुत लोग उसे जानने लगे थे और साथ ही उस का यह शौक बढ़ता जा रहा था। उस के घर के साथ ही  कुछ खाली जगह पडी थी जो एक पड़ोसी ने किशोरी को  दे कर मदद कर दी थी । इस जगह के कारण उसे फूलों के बारे में अच्छी मुहारत  हासल हो गई थी और घर का गुज़ारा ठीक से होने लगा।
 फिर एक दिन अच्चानक उस की मुलाकात एक सेठ जी से हो गई ,जिस ने उसे फूलों के पौदे  बेचते हुए देख लिया था। सेठ जी ने किशोरी लाल को उन की कोठी में एक माली की नौकरी की पेशकश कर दी और अच्छा वेतन भी देने को कह दिया। किशोरी लाल को और किया चाहिए था ,वोह दूसरे दिन ही सेठ जी की कोठी में पहुँच गिया। कोठी में काफी बड़ा लान था और इर्द गिर्द फूलों की किआरिआं  थीं और कुछ फलों के बृक्ष थे। किशोरी को जैसे वर्षों से इस काम की तलाश थी ,उसी वक्त काम में वयस्त हो गिया। कुछ ही महीनों की मिहनत से किशोरी ने कोठी में छोटा सा सुन्दर स्वर्ग बना दिया। सेठ जी का सारा परिवार  शाम को लान में बैठ कर इस बगिया  को देख देख कर खुश होता। वर्षों बीत गए और किशोरी लाल की बेटी नेहा भी बीस बाइस साल की हो गई। दिन अच्छे बीत रहे थे कि एक दिन उसे पता चला कि सेठ जी का सारा बिज़नेस तबाह  हो गिया था और उन्होंने किशोरी को काम से जवाब दे दिया।
काम की तलाश में किशोरी लाल एक दिन शहर की दूसरी  ओर चला गिया। उस ने एक बड़ी कोठी देखी जिस का लान और गार्डन सूखा हुआ था। किशोरी लाल जब भी काम की तलाश में जाता ,इस कोठी के आगे आ  कर खड़ा हो जाता लेकिन वहां कोई ना होता और किशोरी लाल आगे चल पड़ता। इसी तरह एक दिन जब  वोह कोठी के गेट पड़ा खड़ा देख रहा भीतर देख रहा था तो चालीस पैंतालीस वर्ष का कोठी का सेठ  भीतर से आया और बोला ,” किया चाहते हो ?”. किशोरी कुछ घबरा सा गिया और बोला ,” साहब आप को माली चाहिए ? ” सेठ जी कुछ देर सोचते रहे और फिर बोले ,” कब काम शुरू करोगे ?”. किशोरी को पता नहीं किया मिल गिया ,ख़ुशी से बोल उठा ,” साहब अभी से शुरू कर देता हूँ “. कल को आ जाना कह कर सेठ जी भीतर चले गए।
दूसरे दिन आते ही किशोरी ने काम शुरू कर दिया और सेठ जी को बता दिया कि उस की बीवी और एक बेटी भी थी। कुछ ही दिनों की लगन से लान और बगिया सुन्दर लगने लगी। सेठ जी हर दम संजीदा ही दिखाई देते थे। एक दिन बोले ,” मेरी कोठी की पिछली ओर एक कुआटर खाली है जिस में पहला माली रहा करता था ,चाहो तो तुम इस में रह सकते हो”। किशोरी को लगा अब उस के अच्छे दिन आने वाले हैं। दूसरे दिन  वोह अपनी बीवी और बेटी नेहा के साथ इस कुआटर में रहने लगा। दिन बीत रहे थे। एक दिन किशोरी पौदों को पानी दे रहा था और सेठ जी एक कुर्सी पर बैठे अखबार पढ़  रहे थे। पौदों को पानी देते देते अचानक किशोरी लाल की नज़र सेठ जी के चेहरे पर पड़ी तो देखा कि सेठ जी की आँखों से पानी बह  रहा था। हैरान हुआ वोह काम छोड़ कर सेठ जी की तरफ आया और हाथ जोड़ कर रोने का कारन पूछने लगा। बहुत देर बाद सेठ जी बोले ,” किशोरी लाल ! मैं बहुत अभागा हूँ , दौलत की मेरे पास कोई कमी नहीं है लेकिन मेरी ज़िंदगी एक वैरान रेगिस्तान की तरह है ,मेरे दो जवान जुड़वाँ बेटे और पत्नी एक प्लेन हादसे में कुछ समय पहले इस दुनिआ से जा चुक्के हैं ” और सेठ जी बच्चों की तरह फूट फूट  कर रोने लगे। किशोरी की बीवी भी आ गई थी और दोनों सेठ जी को हौसला देने लगे।
कुछ दिन ऐसे ही गुज़र गए। एक दिन सेठ जी अपने काम से आये और सर्वेंट कुआटर की तरफ जाने लगे। जब कुआटर के नज़दीक आये तो उन के कानों में रेशमा के गाने “लम्बी जुदाई” की आवाज़ आई। आवाज़ इतनी मधुर थी कि सेठ जी वहीँ खड़े हो कर सुनने लगे। जब गाना खत्म हुआ तो किशोरी लाल की बेटी नेहा बाहर आई और सेठ जी की तरफ देख कर घबरा सी गई। सेठ जी बोले ,” नेहा तुम तो एक दम रेशमा हो ,इतनी मधुर आवाज़ ! तुम्हें तो फिल्मों में गाना चाहिए ” . किशोरी लाल भी आ गिया था और बोला ,” सेठ जी ,यह बचपन से ही कुछ न कुछ गाया  करती   है”
दिन बीतने लगे और सेठ जी की कोशिश से नेहा रेडिओ पे गाने लगी। एक दिन सेठ जी ने किशोरी लाल और उस की पत्नी को बुलाया और बोले ,” किशोरी लाल बहुत दिनों से एक बात मेरे मन में है ,सोचता हूँ कहूँ या न कहूँ “. हुकम करो सरकार किशोरी लाल की बीवी बोली। बहुत देर बाद सेठ जी बोले ,” किशोरी लाल ! मैं एक बर्बाद हो चुक्का इंसान हूँ ,जिस के पास पैसे के सिवाए कुछ नहीं रहा और मेरे सगे  सम्बन्धी भी मेरी जायदाद की ओर ही नज़रें जमाये बैठे हैं ,कुछ दिन हुए आप की बेटी को गाते हुए देखा था ,उस को देखते ही मुझे ऐसा लगा जैसे अभी भी कोई मेरा है ,मेरी उम्र भी अब ४७ वर्ष की हो गई  है ,मुझे नहीं पता कि आप को कैसे कहूँ कि मैं आप की बेटी  से शादी करना चाहता हूँ ” दोनों मिआं बीवी सुन कर स्तम्भ रह गए और उसी वक्त उठ कर अपने कुआटर की और चले गए। बेटी के साथ किया किया बातें हुईं ,सेठ जी नहीं जानते थे लेकिन दूसरे दिन किशोरी लाल और उस की पत्नी ने अपना फैसला सेठ जी को सुना दिया कि नेहा को कोई एतराज़ नहीं था।
सेठ जी की शादी नेहा के साथ हो गई थी और किशोरी लाल और उस की पत्नी भी अब कोठी में रहने लगे थे। एक साल बाद नेहा ने दो जुड़वाँ बेटों को  जनम दिया। सेठ जी को लगा ,उन का उजड़ा हुआ संसार फिर से आबाद हो गया था। किशोरी लाल और उस की पत्नी सोच रहे थे कि जिस बेटी की शादी के बारे में वोह हमेशा चिंतत रहते थे उस के कारण ही भाग्य ने उन के बुरे दिन खत्म कर दिए थे।
— गुरमेल सिंह भमरा

One thought on “फिर से आबाद संसार

  • Man Mohan Kumar Arya

    कहानी मार्मिक है। अच्छी लगी। हार्दिक धन्यवाद। सादर।

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