मुक्तक/दोहा

कुछ मुक्तक

अगला पिछला सोचकर मत कर तू संताप
प्रभु चरणों में मन लगा कर ले हरि का जाप
बीत गया जो कल हुआ कल क्या हो नहिं भान
वर्तमान को जीत ले सुख आएंगे आप ।।

हस्ती अपनी लुटा गए जो … नमन करूँ
हे भारत के वीरों तुमको …. नमन करूँ
नमन करूँ मैं नित्य ….करूँ वंदन प्रतिदिन
अरि नाशक बलिदानी को मैं… नमन करूँ

क्यों क्रोध है क्यों शोक है ~ किस द्वंद में सब लोग हैं..
आक्रोश क्यों ये रोष कैसा~ कैसे ‘ मन में रोग हैं…
क्यों भूल बैठे हैँ सभी ~ अब बात करना नेह से…
किस होङ में हैं व्यस्त सब ~ कैसा अजब संयोग है ।।।

रिदा मखमल ये ज़ुल्फों की मुझे सोने दे जीभर के
ज़रा तू देख लेने दे सुनहरे स्वप्न जीभर के
महक ये संदली तेरी करे मदहोश है मुझको
अगर तेरी इजाजत हो करूँ मैं प्यार जी भर के

अंकिता कुलश्रेष्ठ

नाम:अंकिता कुलश्रेष्ठ पिता जी : श्री कामता प्रसाद कुलश्रेष्ठ माता जी: श्रीमती नीरेश कुलश्रेष्ठ शिक्षा : परास्नातक ( जैव प्रौद्योगिकी ) बी टी सी निवास स्थान : आगरा पता: ग्राम व पोस्ट सैयां तहसील खेरागढ़ जिला आगरा उत्तरप्रदेश