कविता

प्रेम दिवस….

आज प्रेम दिवस पर
मैं उसें प्रेम करूँ
जो मुझे इस काबिल बनाया
कि दो शब्द कुछ लिख पाऊ
ये झुठ मुठ के रिश्ते
जो टेड्डाबियर और चौकलेट के नाम पर
बाजार में बिक रहें
नही मनाना हमें ये दिवस
हमें तो उसे प्रेम करना हैं
जो सिर्फ प्रेम का भूखा है
वो तो कोई और नही
मेरे ही मॉ बाप
जिसने जन्म से अब तक
नही टेड्डी मॉगे नही चॉकलेट
सिर्फ एक प्यार भरा शब्द
सुनने को व्याकुल रहें
और हम उन्हे प्यार के बदले
ले जाकर बृद्धाश्रम में छोड आतें हैं
क्या यही मेरा प्रेम हैं
मॉ दिवस और पापा दिवस
इतने उल्लास से नही मनाये जाते
जितने कि आज प्रेम दिवस
मनाया जा रहा|
निवेदिता चतुर्वेदी

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४

One thought on “प्रेम दिवस….

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुन्दर कविता ! झूठे प्रेम के चक्कर में हम असली और सच्चे प्रेम को भूल जाते हैं.

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