खट्ठा-मीठा : मेरा अपहरण हो गया है
हर खास और आम को सूचित करना है कि मेरा अपहरण हो गया है। किसने किया, क्यों किया यह पता लगाना पुलिस का काम है। लेकिन चैनलों का काम है कि मेरे अपहरण को अधिक से अधिक पब्लिसिटी दें और अपहरण की तमाम संभावनाओं का पता लगायें।
उनको चाहिए कि मेरे घर वालों, ससुरालवालों, यार-दोस्तों, सहकर्मियों, पड़ोसियों ही नहीं, बल्कि मेरे घर की महरी, दूधवाले, अखबारवाले तक से बातचीत करके अपहरण की गुत्थी सुलझायें। यानी वे सारे काम करें जो पुलिस से करने की अपेक्षा होती है। जब तक मैं वापस नहीं आ जाता तब तक मेरे घर के फाटक को लगातार अपने चैनल पर दिखाते रहें।
मैं वायदा करता हूँ कि वापस लौटते ही मैं उनको एक्सक्लूसिव इंटरव्यू देकर उपकृत करूँगा। यह सब मैं इसलिए कर रहा हूँ कि मुझे मुफ़्त में पब्लिसिटी चाहिए और मेरी इतनी औक़ात नहीं है कि चैनलों पर विज्ञापन देकर देश भर में प्रचार पा सकूँ।
तो हे चैनलवालो, चालू हो जाइए। ज्यादा नहीं बस ७२ घंटे बाद मैं खुदबखुद प्रकट हो जाऊँगा और अपनी कहानी सुनाऊँगा। तब तक घर घर में मेरा नाम पहुँचाना आपकी ज़िम्मेदारी है।
— बीजू ब्रजवासी
🙂
प्रिय विजय भाई जी, हमें आज पता लगा, कि आप हंसाते भी हैं. आप डिज़ाइनर शिप्रा तो नहीं बन रहे हैं! बहरहाल पुलिसवालों को हमने यह आर्टीकिल भेज दिया है, आपकी ई.मेल भी लिख दी है, बस आपके प्रकट होने की देर है, साक्षात्कार चालू हो जाएगा. इस बीच आप नोट्स बनाकर पूरी तैयारी से नमूदार होइएगा. हंसाने के लिए आभार.
आभार, बहिन जी ! चैनल वालों की मूर्खता देखकर एक व्यंग्य सूझा था सो लिख डाला. आपको हंसी आई तो मेरा परिश्रम सफल रहा.
हा हा ,खूब ! यही तो आज हो रहा है ,टीवी वाले रातो रात आप को स्टार या विलेन बना देंगे ,वोह भी घर बैठे बिठाए .
धन्यवाद भाई साहब !