गीतिका/ग़ज़ल

चार पल

चार पल

कभी गर्दिशों से दोस्ती कभी गम से याराना हुआ
चार पल की जिन्दगी का ऐसे कट जाना हुआ..

इस आस में बीती उम्र कोई हमे अपना कहे .
अब आज के इस दौर में ये दिल भी बेगाना हुआ

जिस रोज से देखा उन्हें मिलने लगी मेरी नजर
आखो से मय पीने लगे मानो की मयखाना हुआ

इस कदर अन्जान हैं हम आज अपने हाल से
हमसे मिलकरके बोला आइना ये शख्श बेगाना हुआ

ढल नहीं जाते हैं लब्ज यूँ ही रचना में कभी
कभी ग़ज़ल उनसे मिल गयी कभी गीत का पाना हुआ

प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना

*मदन मोहन सक्सेना

जीबन परिचय : नाम: मदन मोहन सक्सेना पिता का नाम: श्री अम्बिका प्रसाद सक्सेना जन्म स्थान: शाहजहांपुर .उत्तर प्रदेश। शिक्षा: बिज्ञान स्नातक . उपाधि सिविल अभियांत्रिकी . बर्तमान पद: सरकारी अधिकारी केंद्र सरकार। देश की प्रमुख और बिभाग की बिभिन्न पत्रिकाओं में मेरी ग़ज़ल,गीत लेख प्रकाशित होते रहें हैं।बर्तमान में मैं केंद्र सरकार में एक सरकारी अधिकारी हूँ प्रकाशित पुस्तक: १. शब्द सम्बाद २. कबिता अनबरत १ ३. काब्य गाथा प्रकाशधीन पुस्तक: मेरी प्रचलित गज़लें मेरी ब्लॉग की सूचि निम्न्बत है: http://madan-saxena.blogspot.in/ http://mmsaxena.blogspot.in/ http://madanmohansaxena.blogspot.in/ http://www.hindisahitya.org/category/poet-madan-mohan-saxena/ http://madansbarc.jagranjunction.com/wp-admin/?c=1 http://www.catchmypost.com/Manage-my-own-blog.html मेरा इ मेल पता: [email protected] ,[email protected]