संस्मरण

नभाटा ब्लॉग पर मेरे दो वर्ष-1

नव भारत टाइम्स अखबार की वेबसाइट का ‘अपना ब्लॉग’ स्तम्भ काफी लोकप्रिय रहा है. मैं इसको पढता था, तो सोचता था कि मुझे भी अपना ब्लाॅग लिखना चाहिए और नियमित रूप से उस पर अपने विचार प्रकट करने चाहिए। उससे पहले मैं केवल विश्व संवाद केन्द्र लखनऊ के साप्ताहिक बुलेटिन या पत्रिका में कभी-कभी लेख, व्यंग्य आदि लिखा करता था और प्रायः उनको फेसबुक पर भी डाल देता था। लेकिन मैंने अनुभव किया कि ब्लाॅग स्तम्भ का लाभ उठाना चाहिए, ताकि मेरी बात अधिक लोगों तक तथा प्रबुद्ध लोगों तक भी पहुँचे।

काफी सोच-विचार के बाद मैंने ब्लाॅग लिखना प्रारम्भ किया। इसके पूर्व मैंने ब्लाॅगर के रूप में नभाटा पर अपना पंजीकरण करा लिया और वहाँ से मुझे पासवर्ड भी मिल गया, जिससे मैं अपने ब्लाॅग पर कार्य कर सकता था। मैं संवाद केन्द्र पत्रिका में ‘खट्ठा-मीठा’ नाम से व्यंग्य लेख लिखा करता था, इसलिए मैंने अपने ब्लाॅग का नाम भी ‘खट्ठा-मीठा’ ही रखा।

मैं जनवरी 2012 से दिसम्बर 2013 तक पूरे दो साल इस ब्लाॅग पर सक्रिय रहा और मेरे ब्लाॅग के पाठकों की संख्या भी बहुत हो गयी। इस अवधि में मुझे ब्लाॅग लिखते हुए अनेक खट्ठे-मीठे-तीखे-चरपरे अनुभव हुए और नभाटा के प्रधान सम्पादक नीरेन्द्र नागर के साथ मेरा कई बार टकराव हुआ। अन्ततः उन्होंने मुझे ब्लाॅग लिखने से रोक दिया और मेरा पासवर्ड ब्लाॅक कर दिया।

इस लेखमाला में मैं नभाटा के ब्लाॅगर के रूप में अपने अनुभवों को सभी के साथ साझा करना चाहता हूँ और यह स्पष्ट करना चाहता हूँ कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दम भरने वाले ये तथाकथित पत्रकार किस तरह एक स्वतंत्र लेखक का गला घोंटने पर उतारू हो जाते हैं।

विजय कुमार सिंघल

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: jayvijaymail@gmail.com, प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- vijayks@rediffmail.com, vijaysinghal27@gmail.com

3 thoughts on “नभाटा ब्लॉग पर मेरे दो वर्ष-1

  • लीला तिवानी

    प्रिय विजय भाई जी, आपके समय के स्नेही साथी किसी-न-किसी कारण अपना ब्लॉग से दूर चले गए हैं. उस समय देश में भी विवाद की स्थिति इतनी गंभीर नहीं थी और अपना ब्लॉग पर भी बहुत कुछ नया सीखने के साथ-साथ सभी एक-दूसरे से असहमत होते हुए भी विनम्र संवाद बनाए हुए रहते थे. आज भी ऐसे लेखक-पाठक हैं, पर उस सम्य की बात ही कुछ और थी.

  • लीला तिवानी

    प्रिय विजय भाई जी, हम बहुत समय से आपके इन अनुभवों की प्रतीक्षा कर रहे थे. कुछ-कुछ तो हमें मालूम था, बाकी जानने को मिलेगा. हम तो बस इतना कहना चाहेंगे, कि जब आप अपना ब्लॉग पर थे, तो हमें आपसे बहुत अपनापन मिला. अपना ब्लॉग छोड़ने पर भी आपने अपनापन बनाए रखा और बराबर हमारा पथ-प्रदर्शन करते रहे. आज भी जब हमने टाइम्स पॉइंट्स पर घड़ी ऑर्डर की, तो हमें आपकी बहुत याद आई. आपने ही हमें बताया था, कि हम टाइम्स पॉइंट्स पर बहुत कुछ मंगा सकते हैं. आपके अपना ब्लॉग छोड़ने पर हमें अच्छा नहीं लग रहा था, पर उसके बाद आपने जो उपलब्धियां हासिल कीं, हमें बहुत खुशी हुई. कहां आपको दूसरों की मर्ज़ी पर लेखन करना था, आपने ही अनेक लेखकों को अवसर दे दिया. इससे अच्छा और क्या हो सकता है? विधाता के हर काम में कोई राज़ होता है. इतनी अच्छी पत्रिका निकालने के लिए और हमसे बराबर संपर्क बनाए रखने के लिए शुक्रिया.

    • विजय कुमार सिंघल

      प्रणाम, बहिन जी ! नभाटा ब्लॉग छोड़ने का मुझे भी बहुत अफ़सोस हुआ था, लेकिन आगे मुझे उससे लाभ ही हुआ। एक तो, आप, गुरमेल भाई, राज हैदराबादी और केशव जी जैसे अनेक प्रिय मित्र मिले। दो, नभाटा छोड़ने के बाद ही अपनी पत्रिका निकालने की योजना बनी। उसी से युवा सुघोष निकली जिसका नाम अब ‘जय विजय’ है।
      आप सभी के सहयोग और आशीर्वाद से पत्रिका सफल रही। हालाँकि इसकी पहुँच नभाटा के बराबर नहीं है, पर जितनी भी है, वह अन्य मासिक पत्रिकाओं की तुलना में बहुत अधिक है। इसलिए मैं बहुत ख़ुश हूँ।
      इस समय हमारी पत्रिका से लगभग ४०० रचनाकार जुड़े हुए हैं जिनमें से लगभग १०० सक्रिय हैं। यह साधारण उपलब्धि नहीं है।
      आपका आशीर्वाद बना रहे।

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