संस्मरण

संस्मरण

मेरी शादी को पांच साल हो गए थे। कभी कभी जब मायके में आना होता था तो मां का हंसमुख चेहरा देखकर सब थकावट परेशानियां दूर हो जाती थी। मन को एक अनोखा संतोष मिल जाता था। यूं तो सभी अपनी अपनी जगह प्यार से मिलते थे पर शायद यह कुछ मायनो में सही भी है कि मां से मिलकर बहुत अच्छा लगता है। इसी दौरान मां की किडनी में इन्फैक्शन की बात सुनी। असलियत तो यह थी कि उनकी दोनो किडनी खराब हो चुकी थी । पर मुझसे इतना ही कहा गया था कि बस इन्फैक्शन है पर मां की सेहत में सुधार नहीं हो रहा था यह देख कर धीरे धीरे पता चल गया था । घर में सभी जानते थे कि मैं जल्दी घबरा जाती हूँ इसिलिए मुझसे छुपाया गया था। बहुत कौशिशें की गई उनको बचाने की ,जिसने जो बोला वही दवाई ,ईलाज कराया गया पर कोई फायदा नहीं दिखता था। पर पापा ने आखिरी दम तक कौशिश नहीं छोड़ी थीं । मां अपनी आखिरी सांसे गिन रही थी पर हमें फिर भी लग रहा था कोई चमत्कार हो जाएगा । वो ठीक हो जाएंगी पापा तो उस वक्त भी उनके लिए दवाई ढूंढने गए थे इसी उम्मीद से कि शायद फर्क पड़ जाए । पर ऐसा नहीं हो पाया हम अब समझ चुके थे कि अब वो नहीं बच पाएंगी । हम सब भाई बहन उनके पास ही बैठे थे और कुछ रिशतेदार भी थे। मां को अब भी हमारी फिक्र थी कि मेरे बच्चों को कोई परेशानी न हो वो खुद कह कहकर हमसे समान इकट्ठा करा रहे थे। उनको भी आभास हो गया था उनका शरीर भी धीरे धीरे जबाब दे रहा था। मैं चुपचाप मन में आंसुओं का भण्डार छुपाए उनके पास बैठी थी। मां ने कहा कुछ चाहिए क्या बात है । पता नहीं क्यों मुझे लगा मैं कैसे इस वक्त को रोक दूं क्योकि अगर यह बीत गया तो मां नहीं मिलेगी कभी नही,जो दिखाई दे रही वो भी नहीं दिखाई देगी। मैने मां से कहा मां आपने मुझसे प्यार भी नहीं किया। उन्होने अपने हाथ को मेरे सिर पर रखा पर उनका शरीर काम नहीं कर पा रहा था जल्दी ही हाथ नीचे आ गया। उस एक फल में ही लगा कि मुझे आने वाले समय के लिए उनके बिना जीने का मेरे हिस्से का सारा प्यार मिल गया। आज भी जब उनकी याद आती है तो उसी हाथ को अपने सिर पर महसूस करती हूँ। जाने यह कैसा प्यार है जिसके आगे दुनिया की प्यारी से प्यारी और मंहगी से मंहगी मन भावन चीज़ भी फीकी सी लगती है वो सच्चा प्यार जो उनसे मिलता है।।।
कामनी गुप्ता ***

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |

6 thoughts on “संस्मरण

  • आँखें नम हो गईं .

    • जी कुछ संस्मरण ऐसे होते हैं।

  • लीला तिवानी

    अति मार्मिक संस्मरण

    • जी कुछ संस्मरण ऐसे होते हैं

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छा संस्मरण !

    • जी कुछ संस्मरण ऐसे होते हैं ।

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