एक बूट की अभिलाषा
चाह नहीं मैं फेंका जाऊ, उस ओर जहा बैठा हो बुश
या फिर वित्त मंत्री पर फेंको, पर मैं होता नहीं हु खुश
चाह नहीं किसी बड़े ब्रांड का बन अपने पे इठलाऊ
चाह नहीं मैं गाडी में घूमूं और खुद पे इतराऊँ
मुझे फेंक देना उसके सर पर जो कहता हो झूठ अनेक
और कई भी सुधर जायेंगे उसका हश्र जो लेंगे देख
— मनोज “मोजू”
बहुत करारी पैरोडी !