हैप्पी मदर्स डे
प्रिय बच्चो,
हैप्पी मदर्स डे,
आप तो जानते ही हैं, कि मई के दूसरे रविवार को ”अंतर्राष्ट्रीय मदर्स डे” के रूप में मनाया जाता है. इस बार यह पर्व 8 मई को मनाया जाएगा. इस दिन हम मां की महिमा का विशेष रूप से गुणगान करते हैं. असल में मां की महिमा इतनी अहमियत रखती है, कि हम इसका पल-पल गुणगान करें तो भी कम है, फिर भी विशेष रूप से इस दिन हम सब मिलकर इसे मनाते हैं. किसी ने कहा है-
”मां” के बिना घर,
वास्तव में पूर्ण घर नहीं है.
हमको जन्म देने वाली मां ही है. जब हमारा जन्म होता है, तब हम खुद कुछ भी नहीं कर पाते. मां ही हर प्रकार से हमारा लालन-पालन करके हमें दुनिया में रहने के योग्य बनाती है. खुद भूखी रहकर हमें खिलाती है, खुद गीले में सोकर हमें सूखे में सुलाती है, हमारी हर छोटी-बड़ी ज़रूरत का ध्यान रखती है. वास्तव में मां का दर्जा भगवान से भी ऊंचा माना जाता है. तभी तो कहा जाता है-
”भगवान की भक्ति करने से शायद मां न मिले,
लेकिन मां की भक्ति करने पर भगवान अवश्य मिलेंगे.”
अब हमें क्या करना चाहिए? हमें मां का आदर-सम्मान करना चाहिए, उसकी हर बात माननी चाहिए, उसकी मदद करनी चाहिए, सबसे बड़ी बात बड़े होकर हमें मां की ममता को भुलाना नहीं चाहिए और अपना कर्त्तव्य समझकर उसे वही आदर-सम्मान देना चाहिए.
आपकी गर्मी की छुट्टियां चल रही होंगी. गर्मी की छुट्टियां मज़े के लिए तो होती हैं, साथ ही इन दिनों हम अपने बहुत-से शौक पूरे कर सकते हैं, जो पढ़ाई के साथ संभव नहीं हो पाता. हम नई-नई कलाएं सीख सकते हैं.
प्रिय बच्चो, हमें आपसे बातें करके बहुत अच्छा लगता है, कभी-कभी आप भी अपनी राय ज़ाहिर कर दिया करें, तो बहुत अच्छा हो. हरि-इच्छा रही, तो फिर अगले महीने मिलेंगे, कुछ नई बातों के साथ,
आप सबको आशीर्वाद और शुभकामनाओं के साथ,
आपकी नानी-दादी-ममी जैसी
लीला तिवानी
लाजवाब सृजन बहन जी
लीला बहन , यह बाल सन्देश बहुत अच्छा लगा ,सचमुच माँ को बूड़े हो कर भी याद करते हैं .
प्रिय गुरमैल भाई जी, आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है-
”विधाता ने हर प्राणी को , इक वरदान दिया है,
हम सब ने मिलकर, इसको मां का नाम दिया है,
सभी बड़े ऋषियों ने, मां का गुणगान किया है,
ईश्वर के संग इस को, देवी का स्थान दिया है.”
प्रिय गुरमैल भाई जी, आपकी आत्मकथा की यह छठी ई. बुक भी तैयार हो गई है. यह ई. बुक आपके लिए, कुलवंत जी के लिए और पूरे परिवार के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें 121 एपीसोड आपने कुलवंत जी को समर्पित किया है और इसके आगे आपकी बिटिया की शादी का बहुत ही रोचक वर्णन है.
https://issuu.com/shiprajan/docs/meri_kahani_106-126_gurmail_singh
हमारी तरफ से कुलवंत जी को मातृ दिवस का यह विशेष उपहार है. हमारी शुभकामना है, कि आपकी यह लेखन-यात्रा यों ही अनवरत चलती रहे.