कविता

माँ तुझे प्रणाम !

सभी को मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनायें

जो हूँ जैसी हूँ
हर हाल मुस्काती
माँ तुझ से हूँ ~ विभा रानी श्रीवास्तव

मेरा अस्तित्व
आशीर्वाद माता का
अश्रु नमन ~ डॉ नरेंद्र कल्ला

प्रभु भी कहे
मनु जीवन श्रेष्ठ
माँ है जो पास ~ सुनील कुमार पुरोहित

बिना किताब
माँ देती हर ज्ञान
गुरू महान ~ सुरेश जादव

माँ का आँचल
जैसे कड़ी धूप में
शीतल छाया ~ हिमकर श्याम

बेहद कठिन काम है माँ को परिभाषित करना
ना लिख पाऊँ
माँ विषय जो नहीं
आहुति पाता ~ सुनील कुमार पुरोहित

ईश स्वरूपा
उपमाओं से परे
ममता मूर्ति ~ राजेन्द्र पुरोहित

वो जन्मदात्री
पोषक प्रशिक्षक
स्व कर्म मातृ ~ विभा रानी श्रीवास्तव

जग में खास
मातृत्व अहसास
दूसरा जन्म ~ शशि शर्मा “खुशी”

ईश्वर तेरे
कितने अवतार
हर घर माँ ~ सुरेश जादव

सहज सरल सी दिखनी वाली स्त्री
देने संस्कार
मार चाँटा रो देती
माँ मेरी गुरु ~ सुनील कुमार पुरोहित

त्यागशीलता
प्रेम सहनशीलता
माता में पाता ~ शेख़ शहज़ाद उस्मानी

झीना आँचल
बन जाता कवच
मुश्किल घडी ~ प्रवीन मलिक

जब माँ बन जाती है तो अपार शक्ति की स्वामिनी हो जाती है
बीनती है माँ
रास्तों पे का कंटक
तू चल सके ~ प्रियंका

गर्वित है माँ
बहा न सकी आँसू
बेटा शहीद ~ प्रवीण मलिक

छुपाती है माँ
हृदय के संताप
तू खुश रहे ~ प्रियंका बाजपेयी

ख़ुद घुटती
ग़म ही समेटती
समर्पित माँ ~ शेख़ शहज़ाद उस्मानी

ना हम बड़ा होना चाहते हैं और ना हम माँ को खोना चाहते हैं …. लेकिन नियति अपने हिसाब से खेल रचती है और माँ को खो देना नियति बना देती है फिर भी वो एहसास कैसे छीन सकती है

माँ की निशानी —
अधबुना स्वेटर
अलमारी में ~ संजय सनन

साया बनके
सदा रहती साथ
माँ अहसास ~ हिमकर श्याम

माँ तुम मेरी
हर पल की साथी
साथ निभाती ~ शशि शर्मा “खुशी”

माँ की प्रतिरूप धी ,सुता , बिटिया , तनजा , आत्मजा
इलाही गीत —
बेटी सुलावे माँ को
दे कर लोरी ~ संजय सनन
हार या जीत
हर हाल मुस्काती
धार के जीती
संस्कार मोती गुंथे
मिले माँ से जो हार ……

पन्ने भरते जायेंगे …. बात खत्म नहीं होगी ……

प्रियंका बाजपेयी
इंदौर

हिमकर श्याम
रांची

सुनील कुमार पुरोहित
जोधपुर (राजस्थान)

शशि शर्मा “खुशी”
हनुमानगढ

शेख़ शहज़ाद उस्मानी
शिवपुरी/मध्य प्रदेश

सुरेश जादव
बीनागंज

प्रवीन मलिक
चंडीगढ़

राजेन्द्र पुरोहित
जोधपुर / राजस्थान

संजय सनन
पानीपत

डॉ नरेंद्र कल्ला
जोधपुर

*विभा रानी श्रीवास्तव

"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है" शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ

5 thoughts on “माँ तुझे प्रणाम !

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    अति सुंदर संकलन

  • हैपी मदर्ज़ डे विभा बहन .

    पन्ने भरते जायेंगे …. बात खत्म नहीं होगी…… माँ तुझे प्रणाम ?? अत्ति सुन्दर शब्द .

  • हैपी मदर्ज़ डे विभा बहन .

    पन्ने भरते जायेंगे …. बात खत्म नहीं होगी…… माँ तुझे प्रणाम ?? अत्ति सुन्दर शब्द .

  • लीला तिवानी

    प्रिय सखी विभा जी, अति सुंदर संकलन के लिए आभार. आपको हैप्पी मदर्स डे.

  • लीला तिवानी

    प्रिय सखी विभा जी, अति सुंदर संकलन के लिए आभार. आपको हैप्पी मदर्स डे.

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