कहानी

फिर वही कहानी

आज नीता की आँखों में खुशी के आंसु थे। बरसों पहले ज़िंदगी ने नीता को आंसुओं का कभी खत्म न होने वाला घाव दिया था। शादी के दो वर्षों बाद ही नीता के पति कहीं चले गए थे असल में क्या हुआ था यह कोई नहीं जानता था मगर यही अंदाज़ा लगाया जाता था कि किसी ने अगवाह कर लिया है या मार डाला होगा नहीं तो हंसती खेलती अपनी ज़िंदगी से कोई दूर नहीं जाता। नीता की गोद में तब दो महीने का बेटा था जब उसके पति उसे छोड़कर चले गए थे। मायके और ससुराल वालों ने हर मुमकिन कौशिश की थी ढूंढने की अखबारों में टी.वी. पर मगर कहीं कोई सुराग नहीं मिला था। सभी अपनी अपनी जगह बहुत दुखी थे पर नीता की तो ज़िंदगी ही थम गई थी उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो बेटे को संभाले या पति की याद में रोते रहे। सास तो इसी गम में चल बसी थी। ससुर जी भी अंदर ही अंदर घुटते रहते थे उन्होने नीता की नौकरी लगा दी जिससे वह थोड़ा वयस्त रहे और अपने लिए अच्छे से जी सके। उन्होने नीता को दूसरी शादी के लिए भी इजाज्त दी थी पर नीता ने मना कर दिया था उसने कहा था कि मैं अपने बेटे के सहारे ज़िंदगी जी लूंगी। बड़ी मेहनत और मुशकिल से उसने बेटे को पाला और वो भी बहुत मेहनती निकला। एक बहुत ही अच्छी कंपनी में उसकी नौकरी भी लग गई थी। नीता अपने पुराने दिन आहिस्ता आहिस्ता भूलने लगी थी बेटे को हंसता और कामयाब देखकर बहुत खुश होती थी। घर में रिशते भी आने लगे थे। आज उसके बेटे अभिनव की शादी थी तो नीति की आंखों में खुशी के आंसू आ गए थे बेटे को खुश देखकर पुराने ज़ख्म भर गए थे। अभिनव बहुत ही अच्छा और ज़िम्मेदार लड़का था। पर जाने नीता की परिक्षा अभी खत्म नहीं हुई थी। शादी के एक महीने के बाद ही अभिनव की पत्नी का सच पता चला था कि वह किसी और को पसंद करती थी मगर घरवालों ने जबरदस्ती शादी कराई थी क्योंकि वो उस लड़के को पसंद नहीं करते थे। घरवालों को लगा कि शादी के बाद सब ठीक हो जाएगा पर ऐसा नहीं हुआ। अभिनव की पत्नी उससे अच्छा बर्ताव नहीं करती थी वो वापिस उसी के साथ शादी करना चाहती थी। अभिनव बहुत ही भावुक था वो उसे जबरदस्ती अपने साथ बांध कर नहीं रखना चाहता था। उसके घरवालों ने भी अपनी बेटी को बहुत समझाया कि अभिनव बहुत अच्छा लड़का है उसकी ज़िन्दगी में ज़हर न घोलो उसे किस कुसूर की सज़ा दे रही हो पर वो मानने को और कुछ समझने को तैयार नहीं थी। उस पर प्यार का भूत सवार था। घरवाले उसकी ज़िद्द के आगे हार गए थे और अपने फैसले पर पछता रहे थे कि उनको अपनी बेटी की शादी जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए थी। पर कोई कितना ही अच्छा हो सकता है अभिनव की अच्छाई का फायदा उठाते हुए उन्होने तलाक तो करा दिया पर लाखों रूपए की भी मांग कर दी जो उन्होने अपनी बेटी की शादी पर बारात के स्वागत के लिए और तोहफो पर खर्च किए थे। अभिनव ने सब मांग पूरी कर दी थी क्योंकि वो कोई झगड़ा नहीं चाहता था। नीता अब इस दुख को सहन नहीं कर पा रही थी बरसों पहले जो उसके साथ हुआ था वही अभिनव के साथ भी हो रहा था बस स्थिति थोड़ी अलग थी। नीता ने अपना दुख तो जैसे तैसे सहन कर लिया था पर अभिनव के साथ भी वही बात नहीं बर्दाशत हो रही थी फिर वही आंसुओं का सिलसिला शुरू हो गया था। नीता यही सोच रही थी कि आखिर उसकी किस्मत में क्या लिखा है। वो अब बहुत बीमार रहने लगी थी और बीमारियों ने तो जैसे उसे अपनी गिरफ्त में ले लिया था। अभिनव और नीता यही सोच रहे थे कि आखिर किस कुसूर की उनको सज़ा मिल रही थी। नीता के साथ तकदीर ने फिर वही कहानी दोहरा दी थी। अब अभिनव को भी इस हादसे से उभरने के लिए एक दो साल लग गए थे। अभिनव मां को यही दिलासा देता था कि मां सब ठीक हो जाएगा पर मां छुप छुप कर बहुत रोती थी।।।
कामनी गुप्ता ***

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |