कविता

इंतज़ार

आज भी इंतज़ार में वो आंगण तुम्हारा है,
बचपन को याद तुम्हारे अब भी वो करता है,
तुम व्यस्त हो खबर यह गांव की मिट्टी को भी है,
जिसकी सौंधी खूशबु में तुमने गिर गिरकर चलना सीखा था,
उन बूढ़ी आँखों का इंतज़ार हो गया अब के बहुत लम्बा,
इन छुट्टियों में न बहाना कोई नया करना,
हैं आँखें सूर्ख पर होंठों पे चुप्पी सी है,
शायद शिकायते मन के किसी कोने में बस दफन है।

कामनी गुप्ता

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |