कविता

मेरी भी ईद, तेरी भी ईद !!

तेरे घर की सेवंई  मेरी खीर

सरबत का रंग तेरा मेरा नीर

मेरी अज़ान पे हो तेरी नमाज़

तेरी दुआ पे हो मेरा आगाज़

मै कलमा पढू तू करे इफ़्तिआर

तेरे हाथ चूमने से मेरा हो एतबार

ख़ुशी का समां कुछ ऐसा हो

मेरे सुर पे हो तेरी ताल

मै भी रहू खुश और

तू भी रहे खुशहाल

कुछ ऐसा हो

ईद का हो प्यार

ईद का हो प्यार …….

के.एम. भाई

सामाजिक कार्यकर्त्ता सामाजिक मुद्दों पर व्यंग्यात्मक लेखन कई शीर्ष पत्रिकाओं में रचनाये प्रकाशित ( शुक्रवार, लमही, स्वतंत्र समाचार, दस्तक, न्यायिक आदि }| कानपुर, उत्तर प्रदेश सं. - 8756011826