संस्मरण

नभाटा ब्लॉग पर मेरे दो वर्ष – 11

मुझे नभाटा पर ब्लॉग लिखते हुए लगभग 6 महीने हो गए थे. मैं हर चौथे दिन एक लेख लिखता था और उसे ब्लॉग पर लगा देता था. नभाटा का संपादक मंडल उसको देखकर और आवश्यक होने पर सम्पादित करके लाइव कर देता था. उनका नियम था कि चालू विषयों को छोड़कर अन्य विषयों पर एक लेखक का तीन दिन में केवल एक लेख ही लाइव होगा. मैं इसी में खुश था क्योंकि इससे अधिक समय मेरे पास नहीं था. किसी तरह समय निकालकर मैं  तीन दिन में एक लेख लिख देता था और उन पर आयी टिप्पणियों का भी उत्तर दे देता था.

इसमें मुझे कोई समस्या भी नहीं थी, क्योंकि मेरे लेख संतुलित शैली में होते थे और उनकी भाषा शुद्ध होती थी. इसलिए मेरे लगभग सभी लेख बिना किसी काट-छांट के लाइव हो जाते थे. केवल एक-दो बार मेरे एक लेख को लाइव करने में नभाटा के संपादक महोदय ने अड़चन की थी जो बाद में लेख को संशोधित करने के बाद दूर हो गयी थी. इसका विवरण में अपनी इस लेख माला की कड़ियों 4 और 6 में दे चुका हूँ.

लेख स्वयं लाइव करने का अधिकार मिला

तभी अचानक 7 जुलाई 2012 को मुझे नभाटा ने अपने लेख स्वयं लाइव करने का अधिकार दे दिया हालाँकि मैंने कभी इस अधिकार की कामना या मांग नहीं की थी. मुझे इसके नियम भी बताये गए थे. मुख्य नियम यही था कि मैं तीन दिन में केवल एक लेख लाइव कर सकता हूँ. मैंने इसके लिए संपादक मंडल को धन्यवाद दिया और नियमों का पालन करने का विश्वास दिलाया.

यह अधिकार मिल जाने से मुझे यह सुविधा हो गयी कि मैं एक साथ तीन चार लेख अपने ब्लॉग पर लगा सकता था और उनको इस प्रकार शिड्यूल कर सकता था कि हर चौथे दिन एक लेख लाइव हो जाये. मैंने इस सुविधा का जमकर लाभ उठाया क्योंकि अब मैं अपने समय का अच्छा उपयोग कर सकता था.

लेकिन सभी लेखक इस नियम का पालन नहीं करते थे. एक अन्य ब्लॉगर थे जो ‘बिरजू अकेला’ के नाम से लिखते थे. वे लगभग रोज ही अपना एक लेख लाइव कर देते थे. मैंने एक बार नभाटा के संपादक को लिखा कि उनके मामले में तीन दिन वाले नियम का पालन क्यों नहीं हो रहा है? इसके जबाब में मुझे प्रधान संपादक श्री नीरेंद्र नागर ने बताया कि इस नियम का एक अपवाद है कि आप चालू विषय पर जितने चाहें उतने लेख लाइव कर सकते हैं. मैंने इस स्पष्टीकरण को स्वीकार कर लिया.

इसके बाद ब्लॉग लिखने का मेरा कार्य सुचारू रूप से चलता रहा.

विजय कुमार सिंघल 

श्रावण शु. 7, सं. 2073 (10 अगस्त 2016)

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: jayvijaymail@gmail.com, प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- vijayks@rediffmail.com, vijaysinghal27@gmail.com