गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : सत्रह लाख सिर

ठग गया विश्वास फिर से क्या कहूँ मैं क्या हुआ।
फिर मुझे लगता है मेरे साथ इक धोखा हुआ।

बेच मत देना शहीदी खून को इस बार फिर,
चुप न बैठेंगे अगर इस बार ये सौदा हुआ।

एक बेटे के लिए इससे बुरा दिन और क्या!
उसकी माँ पर ग़र उसी के सामने हमला हुआ

शेर है तो शेर जैसा वार भी तो चाहिए।
किस सियासी चाह में सीना बता छोटा हुआ।

बीन सुननी है नहीं मुझको सपेरे जान ले,
विष भरा फन चाहिए इस बार तो कुचला हुआ।

ला सके सत्रह के बदले ग़र न सत्रह लाख सर,
बेरहम दुश्मन से फिर बदला भी क्या बदला हुआ।

कह रही दुनिया जिसे ये देश है सबसे जवां,
अब कहीं कहने न लग जाये कि ये मुर्दा हुआ।

प्रवीण श्रीवास्तव ‘प्रसून’

प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'

नाम-प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून' जन्मतिथि-08/03/1983 पता- ग्राम सनगाँव पोस्ट बहरामपुर फतेहपुर उत्तर प्रदेश पिन 212622 शिक्षा- स्नातक (जीव विज्ञान) सम्प्रति- टेक्निकल इंचार्ज (एस एन एच ब्लड बैंक फतेहपुर उत्तर प्रदेश लेखन विधा- गीत, ग़ज़ल, लघुकथा, दोहे, हाइकु, इत्यादि। प्रकाशन: कई सहयोगी संकलनों एवं पत्र पत्रिकाओ में। सम्बद्धता: कोषाध्यक्ष अन्वेषी साहित्य संस्थान गतिविधि: विभिन्न मंचों से काव्यपाठ मोबाइल नम्बर एवम् व्हाट्सअप नम्बर: 8896865866 ईमेल : praveenkumar.94@rediffmail.com