संस्मरण

नभाटा ब्लॉग पर मेरे दो वर्ष – 19

हिन्दू आतंकवाद का आरोप

जनवरी 13 में नवभारत टाइम्स (नभाटा) के ब्लॉग पर मैंने एक लेख लिखा जिसका शीर्षक था- “हिन्दू आतंकवादी क्यों न बनें?” इसमें मैंने बताया था कि हिन्दुओं को इस्लामी आतंकवाद की प्रतिक्रिया में आतंकवादी नहीं बनना चाहिए, क्योंकि यह हिंदुत्व के सिद्धांतों के विरुद्ध होगा. नभाटा के संपादक मंडल ने शायद इस लेख के केवल शीर्षक को पढ़कर यह अनुमान लगा लिया कि मैंने हिन्दू आतंकवाद का समर्थन किया है.

यह लेख उन्होंने पहले लाइव होने दिया, इस पर कुछ कमेंट भी आये. लेकिन फिर इसे अचानक ब्लॉग से हटा दिया और 24 जनवरी को मुझे ईमेल भेजा कि आपसे अपने लेख स्वयं लाइव करने का अधिकार वापस लिया जा रहा है, क्योंकि आपने अपने लेख जल्दी-जल्दी लाइव किये हैं. मैंने इसके उत्तर में बताया कि यह कारण गलत है, क्योंकि मैंने नियमानुसार हर तीन दिन बाद ही लेख लाइव किये हैं.

इसका उत्तर देते हुए उन्होंने मान लिया कि हाँ यह कारण गलत था, और सही कारण यह है कि “हम अपने प्लैटफॉर्म पर किसी भी भड़काऊ गतिविधि को जगह नहीं दे सकते। हमने अपनी साप्ताहिक सूचना में कई बार यह बात कही है कि हमारे लिए ओवैसी और ठाकरे दोनों ही तरह के भड़काऊ बयान देने वाले लोग एक जैसे हैं और दोनों ही तरह की बातों को एनबीटी से प्रचारित नहीं किया जा सकता। आपकी एक पोस्ट हिंदू आतंकवादी क्यों बनें?” उसी श्रेणी में आती दिखती है। इस पोस्ट पर कई पाठकों ने आपत्ति दर्ज की है। आपकी पोस्ट की भाषा ऐसी है कि मानो आप हिंदू युवकों को दंगों के लिए तैयार कर रहे हों। इसका हेडलाइन भी आतंकवाद का समर्थन करतानजर आता है। हम कानूनी और नैतिक दोनों ही आधार पर इस पोस्ट को अपने प्लैटफॉर्म पर जगह नहीं दे सकते।

इस आरोप के उत्तर में मैंने उनको लिखा कि “ऐसा लगता है कि आपने मेरी पोस्ट का केवल शीर्षक पढ़ा है, पूरी पोस्ट ध्यान से नहीं पढ़ी। मैंने कहीं भी आतंकवाद को प्रोत्साहित करने वाला कोई वाक्य नहीं लिखा, बल्कि कई बार इसके विरोध में अवश्य लिखा है। कृपया पोस्ट को फिर से ध्यानपूर्वक पूरा पढ़िए, तब सही निर्णय कीजिये। आपका जो भी निर्णय होगा, मुझे स्वीकार होगा। पोस्ट को सम्पादित करने का आपका विशेषाधिकार है ही, आप उसमें आवश्यक संशोधन कर सकते हैं।”

मुझे अपनी इस ईमेल का कोई उत्तर नहीं मिला. फिर मैंने एक और ईमेल भेजकर उनको चुनौती दी कि मेरे लेख का वह वाक्य बताइए जो आतंकवाद को प्रोत्साहन देता हो. मैंने लिखा कि यदि लेख का शीर्षक भ्रम पैदा कर रहा है तो उसे सुधार दीजिये.

मेरे लेख में वास्तव में ऐसा कोई वाक्य था ही नहीं जो किसी भी तरह आतंकवाद का समर्थन करता हो. कई वाक्य तो मैंने आतंकवाद के विरोध में लिखे थे. इसलिए उनको लेख लाइव करना पड़ा. मेरी ईमेल के उत्तर में दो दिन बाद मुझे सूचित किया गया कि मेरा लेख “हिन्दू आतंकवादी नहीं हो सकते” शीर्षक से लाइव कर दिया गया है. इस लेख का लिंक नीचे दे रहा हूँ, ताकि आप पढ़ सकें कि मैंने क्या लिखा था और किस प्रकार नभाटा के संपादक मंडल ने पूरा लेख पढ़े बिना ही मेरे ऊपर अनुचित आरोप लगा दिया था.

हिन्दू आतंकवादी नहीं हो सकते!

http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/Khattha-Meetha/entry/%E0%A4%B9-%E0%A4%A8-%E0%A4%A6-%E0%A4%86%E0%A4%A4-%E0%A4%95%E0%A4%B5-%E0%A4%A6-%E0%A4%95-%E0%A4%AF-%E0%A4%A8-%E0%A4%AC%E0%A4%A8

इस लेख पर पाठकों में बहुत बहस हुई. इस पर लगभग १५० कमेंट आये. बहुत से कमेंट मैंने हटाये भी क्योंकि उनकी भाषा शोभनीय नहीं थी.

अपने लेखों को स्वयं प्रकाशित करने का जो अधिकार नभाटा के संपादक मंडल ने गलत कारण बता कर वापस लिया था, वह लगभग 20 दिन बाद मुझे फिर से दे दिया गया, हालाँकि मैंने इसकी मांग नहीं की थी. इसके बाद मेरा ब्लॉग लेखन फिर से सुचारू रूप से चलने लगा.

विजय कुमार सिंघल

आश्विन कृ. 4, सं. 2073 वि. (20 सितम्बर, 2016)

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: jayvijaymail@gmail.com, प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- vijayks@rediffmail.com, vijaysinghal27@gmail.com