गीत/नवगीत

बाबुल की बिटिया प्यारी

मैं बाबुल की बिटिया प्यारी
बनकर कुल का नाम करूँगी,
कभी ना कर पाया हो जिसने
जग में ऐसे काम करूँगी।

तेरी आँखों के असुवन से
मैं सिंगार करूँगी माता,
तेरे अधरों के स्मित से
बढ़कर नहीं खिलौना भाता,
जहाँ रखेगी तू चरणों को
सब न्यौछावर मैं कर दूँगी,
जब तक ना सो जाएगी तू
मैं भी ना आराम करूँगी।
कभी ना कर…

आने दे मुझको दनियाँ में
जन्म तेरा फिर हो जाएगा,
तेरा पावन रूप देख फिर
जग सपनों में खो जाएगा,
अनुपम ये सौंदर्य तेरा माँ
कभी न जग से मिटने पाए,
मैं भीआनेवाले जग को,
ऐसी बिटिया दान करूँगी,
कभी ना कर…

वीरों की जननी बनकर मैं,
एक नया इतिहास लिखूँगी,
भारत के चरणों में पल-पल
अपनी इक-इक साँस रखूँगी,
पन्ना-जीजा-कौशल्या और
मात जशोदा कहलाकर मैं,
धर्मक्षेत्र के कुरूक्षेत्र में
जीवित चारो धाम करूँगी,
कभी ना कर…

घात लगेगी जब नेज़े की
क्या दिल तेरा ना रोएगा?
जब भी मेरी साँस रुँधेगी
क्या दुख तुझको ना होएगा?
तेरी ही रचना जब मैया
खंड-खंड में बँट जाएगी,
तब मेरी हे!भोली माता
हँसकर तुझको माफ़ करूँगी,
कभी ना कर…

शरद सुनेरी