गीत/नवगीत

प्रलंयकारी ज्वाला!!

बनकर प्रलंयकारी ज्वाला ,
आज जवानों आग लगा दो,
बरसों से प्यासी शमशीरों
की शोणित से प्यास बुझा दो,
कसम उठा लो आज न दुश्मन,
हमसे बच कर जाएगा,
अगर फिरा इस ओर तो,
दुनिया से ,फिर वो फिर जाएगा।

आस्तीन के साँप हैं ये,
मौका पा कर फुफकारेंगे,
विश्वासघात के कलपूर्जे,
ऐसे ना बाज़ी हारेंगे,
बातों पर इनकी ना जाना,
इनको बातों का कौल नहीं,
इन नामरदों की औलादों को ,
बातों का कोई मोल नहीं
इक बार तो क्या? कई बार ये अपने वादों से फिर सकते हैं,
इतने हैं नीच की ये बैरी,
पाताल तलक गिर सकते हैं,
हो सकता है कुत्ता फिर से,
सिंहों पर गुर्राएगा,
अगर फिरा इस ओर तो…

तुमने मील के पत्थर लाँघे,
मंज़िल को अभी पाना है,
सूअर के इन पिल्लों को,
सरहद पार भगाना है,
रावण और कंसों का,
इक बच्चा न बचने पाये,
वीर शहीदों की कुरबानी,
व्यर्थ नहीं जाने पाये,
रणचंडी है अभी पिपासी,
उसको लहू पिला देना,
पूर्णाहुति में तुम पूरा,
पाकिस्तान चढ़ा देना,
अपने खून से हर बेटा,
इतिहास नया लिख जाएगा,
अगर फिरा इस ओर तो…

आया है रिमझिम बौछारें,
लेकर आँखों में सावन,
हाथों में राखी को थामे,
तरस रहा बहना का मन,
माता के आँचल में दहकी,
ममता की चिंगारी है,
हाथ हिलाकर तुझे पुकारे,
बिटिया की किलकारी है,
बिखरे हैं सिंदूरी सपने,
छलक रहा नैनों से प्यार,
सिसक रही है सूना रातें,
पाने को बाँहों का प्यार,
बूढ़े बाप का काँधा तुझको,
काँधा ना दे पाएगा,
अगर फिरा इस ओर तो…

शरद सुनेरी