गीत/नवगीत

शहीदों के नाम – एक दीप

कलम आज जय उनकी बोलो, जिनकी अजब कहानी है, जिनके बलिदानों से पावन , गंग-जमुन का पानी है, कलम आज जय उनकी बोलो, जो फाँसी पर झूल गए, भारत माता की ख़ातिर जो धर्म-जातियाँ भूल गए, कलम आज जय उनकी बोलो, जो बढ़ते ही आते थे, दुश्मन के सीने पर चढ़ जो, अंगारे बरसाते थे, कलम आज जय उनकी बोलो, कभी नहीं घबराते थे, सत्य-अहिंसावाली सरगम साँस-साँस पर गाते थे, जिनको ना ज़ालिम शासन की कालकोठरी रोक सकी, जिनके तूफ़ानी कदमों को, बंदूकें ना टोक सकी, जिनके कारण अमर तिरंगा आसमान को चूम सका, भू-मंडल की सीमाओं तक , अकड़ शान से घूम सका, कलम चलो हम दोनों मिल कर, सोई अलख जगाएँगे, और शहीदों के आँगन मे, मिल कर दीप जलाएँगे। शरद सुनेरी