बाल कविता

बाल कविता : फुग्गा फूटा

दादी पहन पुराना लुग्गा
बेच रही है सुन्दर फुग्गा

कहती आओ मेरे बच्चे
नन्हें-मुन्ने दिल के सच्चे

केवल पाँच रुपैया लाना
फुग्गा कोई भी ले जाना

तभी दौड़ के रानी आयी
नीले फुग्गे को वह पायी

ख़ुशी-ख़ुशी में पैसा देकर
भागी झटपट फुग्गा लेकर

लगी खेलने घर के द्वारे
खेलों में सब अपना वारे

देख के चिंटू न रह पाया
दौड़-भागके फुग्गा लाया

खेल-खेल में फुग्गा फूटा
जैसे रानी का दिल टूटा

चिंटू खेल-खेल इठलाता
रानी को जी भर ललचाता

चिंटू का भी फुग्गा फूटा
बेचारा रानी से रूठा

बच्चों को अच्छा लगता है
फुग्गा अधिक नहीं चलता है

योगेन्द्र प्रताप मौर्य

योगेन्द्र प्रताप मौर्य

नाम-योगेन्द्र प्रताप मौर्य पिता का नाम-स्व. माधव प्रसाद मौर्य जन्मतिथि-10-07-1983 शिक्षा-B Sc, B Ed संप्रति-उत्तर प्रदेश के प्रा.वि. में अध्यापक साहित्यिक विधा-कविता, कहानी, गीत, नवगीत पुस्तक-सूरज चाचा हाय हाय (इक्यावन बाल कविताएँ) फोन 8400332294, 9454931667 Email--yogendramaurya198384@gmail.com