लघुकथा

दूरदर्शी

“जानती हो विभा ! राय जी अपने तीनों बेटों को बुला कर बोले कि G+3 फ्लोर मकान बनवाने के पीछे की मंशा ये थी कि तुम तीनों अलग अलग फ्लोर पर शिफ्ट हो जाओ । हम माँ बाप ग्राउंड फ्लोर पर ही रहेंगे ।”

“क्यों पिता जी ? ऐसा क्यों ! हमलोगों से क्या कोई गलती हुई है ? कल ही तो सबसे छोटे भाई की शादी हुई और आज आप हम तीनों को अलग अलग फ्लोर पर शिफ्ट होने का आज्ञा दे , बंटवारे की बात कर रहे हैं ।”

तीनों बेटों बहुओं का एक ही सवाल बार बार सुन कर राय जी मुस्कुराये और बोले ” आज कोई गलती तुमलोगों से नहीं हुई है । कल तुम लोग कोई गलती कर एक दूसरे से दूर ना हो जाओ दिलों से, आज फ्लोर से बस दूर हो जाओ। हम माँ बाप जिस फ्लोर पर रहेंगे वो फ्लोर सबका होगा । हमारे रिश्तेदारों का , हमारे संगी साथी का, खास कर हमारी बेटियों का निसंकोच मायका आबाद रहेगा !”

जया चाची (मकान-मालकिन) की बात सुन विभा अतीत में खो गई. वर्षों पहले कुछ ऐसे विचार से ही वो अपने पापा को अवगत कराई थी.  

विभा श्रीवास्तव 

*विभा रानी श्रीवास्तव

"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है" शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ