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नई चेतना: एक अनूठी कहानी

कहानी लिखना, सुनना यहां तक कि सुनाना भी एक कला है. इस कला की ABC भी किसी को आ जाए, तो कहानी का आनंद ही कुछ और हो जाता है. प्रश्न यह है, कि कहानी बनती कैसे है? यह अपने आप में एक अनबूझ पहेली है. कभी-कभी मन में कहानी का कैनवास इतना विशाल होता है कि समझ में नहीं आता, कहानी कहां से शुरु की जाए और कहां पे इसको विराम दिया जाए. कभी मन में कहानी एक लघु कथा के रूप में होती है और लिखते-लिखते उसका पटल अचानक इतना विस्तृत हो जाता है, कि कहानी पूरी तरह से कहानी रहते हुए भी सीरियल या फिल्म के जैसी आभासित होती है. आज हम जिस कहानी ‘नई चेतना’ की बात करने जा रहे हैं, उसके साथ भी ऐसा ही हुआ है.

जिस कहानी की हम बात कर रहे हैं, उसका प्रारम्भ एक लघुकथा के रूप में हुआ था. पहले ही एपीसोड में लेखक को लगा, कि इस कहानी में बहुत संभावनाएं छिपी हैं. असल में हर छोटी कहानी में बहुत संभावनाएं छिपी होती हैं, लेकिन जब लेखक की प्रतिभा में ही बहुत संभावनाएं छिपी हों, तो छोटी कहानी एक लंबी कहानी, सीरियल या फिल्म का पटल बन जाती है, कहानी ‘नई चेतना’ के साथ भी ऐसा ही हुआ है. हुंकारे देने वाले कहते रहे- ”अब कहानी का क्लाइमेक्स आ चला है”, लेकिन कहानी को शायद समाप्त होना रास नहीं आ रहा था, सो पूरे 30 एपीसोड तक रोचकता से चलती रही. यह रोचकता अंत तक बनी रही. कुल मिलाकर ‘नई चेतना’ एक अनूठी कहानी बन पड़ी है.
कहानी की एक विशेषता होती है, प्रकृति चित्रण. इस कहानी में लेखक को जहां भी थोड़ा-सा अवसर मिला है, सुबह-शाम-गोधूलि वेला, खेतों आदि का जीवंत चित्रण करना लेखक महोदय नहीं भूले हैं. यही नहीं, लेखक ने ग्राम्य जीवन का जैसा अनुपम चित्रण किया है, वह इन दिनों कम ही दिखाई देता है. यों यह कहानी आधुनिक युग में विचर रही है, लेकिन इस कहानी ने प्रेमचंद युग की याद दिला दी. इससे ज़्यादा हम आपको कुछ नहीं बता सकते, बस लेखक के बारे में तनिक बता देते हैं.

हम आपको अक्सर अपने पाठकों से मिलवाते रहते हैं. इसी कड़ी में हमने आपको राजकुमार कांदु भाई से मिलवाया था. राजकुमार कांदु भाई ने हमारे लिए एक ब्लॉग ‘काबिलियत की कसौटी पर किन्नर’ लिखा था, जिसको आप लोगों ने बहुत स्नेह-प्यार दिया था. इसी कहानी ने राजकुमार कांदु भाई को लेखक के रूप में स्थापित कर दिया. देखते-ही-देखते उनकी 91 रचनाएं प्रकाशित हो गई हैं. ये रचनाएं सिर्फ़ गिनती के हिसाब से ही अहम नहीं हैं, रचनाओं की विविधता और गुणवत्ता भी इनकी विशेषता है. हम आपको लेखक की वेबसाइट बता देते हैं, जिस पर आप यह कहानी पढ़ सकते हैं.
https://jayvijay.co/author/rajkumar/
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*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244