लघुकथा

अपेक्षा

रवि पिताजी को स्टेशन छोड कर आया तो खामोश था, लेकिन सुमन को कुछ और बात परेशान किए जा रही थी, आखिरकार चुप्पी तोड बोली, “रवि तुमने पिताजी से रिजर्वेशन के रूपये नहीं लिये …..लेकिन मेरे मम्मी-पापा आये तो तुमने रिजर्वेशन करवाया और जब उन्होंने तुम्हें रूपये दिये तो तुरंत रख लिये थे।” “तो वो तुम्हारे मम्मी पापा हैं , मेरे नहीं और मैं बेटा नहीं, जमाई हूँ उनका ।” रवि बोला
इतना सुनते ही दुविधा से सुमन एकटक रवि का चेहरा देख बोली,

“हमसे शादी के बाद यह अपेक्षा की जाती है, कि ससुराल के सदस्यों को पिता, माँ ,बहन और भाई के रूप में अपनाये और सेवा करे और तुम लोग जमाई बाबू की छवि को तोड बेटा नहीं बन सकते, तुमने तो बहुत आसानी से कह दिया कि मेरे मम्मी पापा नहीं ,यही बात मैंने कहीं होती तो शायद तुम……..।”
रवि निरूत्तर हो सर झुकाए चुपचाप कमरे से बाहर निकल गया …………

संयोगिता शर्मा

जन्म स्थान- अलीगढ (उत्तर प्रदेश) शिक्षा- राजस्थान में(हिन्दी साहित्य में एम .ए) वर्तमान में इलाहाबाद में निवास रूचि- नये और पुराने गाने सुनना, साहित्यिक कथाएं पढना और साहित्यिक शहर इलाहाबाद में रहते हुए लेखन की शुरुआत करना।