मुक्तक/दोहा

चार मुक्तक

 

आने   वाला  आयेगा   ही
जाने   वाला  जायेगा   ही
किस्मतवाला सब पा लेगा
बदकिस्मत चिल्लायेगा   ही
****
चंदन  है  तो  महकेगा   ही
शोला  है  तो  दहकेगा  ही
जिसकी जो मर्ज़ी हो करले
पंछी   है   तो   चहकेगा ही
****
पत्ता    है    तो     टूटेगा     ही
बंधन    है    तो     छूटेगा    ही
दिल की दौलत लाख सम्हालो
पर    कोई    तो   लूटेगा    ही
****
प्राण  अगर  हैं  डोलेगा  ही
जब तक स्वर  है बोलेगा ही
पंछी  पिंजरा  तोड़  न  पाये
पर कोशिश भर खोलेगा ही

— डॉ.कमलेश द्विवेदी